Rupee vs Dollar: भारतीय करेंसी के रेट में गिरावट लगातार जारी है। वहीं अमेरिकी डॉलर के भाव में अन्य मुद्राओं के मुकाबले बहुत तेजी वृद्धि हो रही है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। रुपये का हाल ये है की मानो लड़खड़ा रहा हो। हालांकि, शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7 पैसे बढ़कर 79.92 पर पहुंच गया। कल विदेशी बाजारों में मजबूत ग्रीनबैक के बीच रुपया 18 पैसे से अधिक की गिरावट के साथ 79.9975 पर बंद हुआ था।

Rupee vs Dollar: थोक मूल्य सूचकांक 15.88 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर
पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट से स्थानीय मुद्रा को राहत मिली है। खनिजों की कीमतों में गिरावट के कारण थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (WPI) जून में तीन महीने के निचले स्तर 15.18 प्रतिशत पर आ गई, लेकिन खाद्य पदार्थ महंगे रहे। पिछले महीने थोक मूल्य सूचकांक 15.88 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

Rupee vs Dollar: आपके लिए कमजोर रुपये का क्या मतलब है?
रुपये के कमजोर होने का सबसे ज्यादा असर महंगाई पर पड़ा है। भारत अपने कच्चे तेल का 80% से अधिक आयात करता है। तेल दो महीने से अधिक समय से 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास मंडरा रहा है इससे कमजोर रुपये से मुद्रास्फीति के दबाव में इजाफा होगा। जैसा कि आयात के लिए भुगतान डॉलर में किया जाता है, कमजोर रुपया आयात करने वाले सामानों की कीमत को बढ़ा देगा। रुपये के कमजोर होने से महंगाई की समस्या और बढ़ जाएगी। आयात किए जाने वाले उत्पादों के लिए उपभोक्ताओं को बहुत अधिक खर्च करना होगा।
बता दें कि भारत उर्वरकों और खाद्य तेलों के लिए भी अन्य देशों पर बहुत अधिक निर्भर है। भारतीय कंपनियां, डॉलर बाजार से उधार ले रही हैं, और दिसंबर 2021 के अंत में वाणिज्यिक उधारी का स्टॉक 226.4 बिलियन डॉलर था। इसलिए, ब्याज चुकौती बढ़ने की उम्मीद है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट के साथ विदेशों से भारत में पैसा भेजने वालों को अधिक खर्च करना होगा।
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