नोटबंदी के बाद कालाधन जमा करके रखने वालों ने उस पैसे को व्हाइट करने के लिए कई हथकंडे अपनाए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ( IT) ने काले धन को सफेद बनाने वालों को अभी तक नहीं बख्शा है। कालेधन को गैर कानूनी ढंग से सफेद करने के शक में आयकर विभाग ने पेट्रोल पंपों और एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स वितरकों पर छापेमारी शुरू कर दी है।

नोटबंदी के बाद भी 3 दिसंबर तक पेट्रोल पंपो और रसोई गैस सिलेंडर को खरीदने के लिए पूराने 500 और 1000 रूपये के नोटो का इस्तेमाल हो रहा था। आयकर विभाग को शक है कि पेट्रोल पंप मालिकों ने इस छूट का गलत फायदा उठाकर कई लोगों के कालेधन को सफेद किया है। आयकर अधिनियम धारा 133-के तहत विभाग पेट्रोल पंप मालिकों के केशबुक की जांच की जा रही है। हालांकि आयकर अधिकारियों का कहना है कि यह छापेमारी नहीं केवल रूटीन सर्वे है। अधिकारियों का कहना है कि इस सर्वे का मकसद केवल इतना है कि पंप मालिकों ने खातों में जो रकम जमा करवाई है वह रकम बिक्री रिकॉर्ड से मेल खाती है या नहीं।

इस तरह के सर्वे 6 मार्च से हो रहे हैं। सर्वे से पता चला कि पंप मालिकों के खातों में एवरेज सेल्स से 15% ज्यादा रकम जमा हुई है। आयकर विभाग सर्वे में सरकारी ऑयल कंपनियों से डाटा मांग रही है ताकि सेल्स से ज्यादा की रकम का पता लगाया जा सके। सर्वे के दौरान अगर पेट्रोल पंप और गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स के यहां नोटबंदी के दौरान सेल्स से ज्यादा रकम जमा सामने आएगी तो उनके ओनर्स के खिलाफ कार्यवाई की जाएगी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत टैक्स और 49.90% का जुर्माना भी वसूला जाएगा। अगर मालिक खाते में अतिरिक्त जमा राशि को पुराने पेमेंट और बकाया राशि के रूप दिखाएंगे तो इसे गैर कानूनी माना जाएगा।

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