Nirmala Sitaraman: केंद्र सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पूर्ण बजट 1 फरवरी को संसद के लोकसभा में पेश किया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांचवी बार बजट पेश की थी। बजट के बाद आज यानी शनिवार को वित्त मंत्री ने मुंबई में प्रेस वार्ता की। यह पोस्ट बजट प्रेस कॉन्फ्रेंस था, जिसकी जानकारी वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर दी थी। इस दौरान वित्त मंत्री ने बजट के बाद उठ रहे सवालों समेत कई मुद्दों पर भी जवाब दिया। वहीं, अडानी के एफपीओ से जुड़े सवाल पर भी उन्होंने अपनी बात कही है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की स्थिति किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुई है।
Nirmala Sitaraman: एफपीओ का आना-जाना एक आम प्रक्रिया- वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई में पोस्ट बजट प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि ये प्रेस कॉन्फ्रेंस हर साल की तरह बजट के बाद होने वाले पोस्ट बजट संवाद का हिस्सा है। इससे मिलने वाले सुझावों को फाइनेंस बिल में शामिल किया जा सकता है। वहीं, एफपीओ व अडानी से जुडे़ सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा “हमारा विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दो दिनों में बढ़कर 8 मिलियन डॉलर हो गया है। एफआईआई व एफपीओ का आना-जाना लगा रहता है।”
उन्होंने कहा कि अडानी के मामले से भारत की स्थिति प्रभावित नहीं हुई है। वित्त मंत्री ने कहा “हम जानते हैं कि एफपीआई का आना-जाना एक सामान्य प्रक्रिया है और इसके आधार पर देश की आर्थिक स्थिति को लेकर कोई नजरिया बनाना ठीक नहीं है।”
वित्त मंत्री ने आंध्रा बैंक समेत दो बैंकों के निजीकरण के सवाल पर कहा कि अभी इस पर कोई अपडेट नहीं है।
केवल टैक्स बचाने के लिए न बनाए इंश्योरेंस को जरिया- निर्मला सीतारमण
प्रेस वार्ता के दौरान वित्त मंत्री से इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर टैक्स के बारे में सवाल किया गया। इस पर उन्होंने कहा कि इंश्योरेंस कवर के तहत अधिक से अधिक लोगों को लाने की सरकार ने कोशिश की है। हालांकि, इसके साथ ही सरकार को यह भी देखना है कि इसका जो मुख्य उद्देश्य है वो पूरा हो, ना कि केवल टैक्स बचाने के लिए लोग इंश्योरेंस को जरिया बना लें।
वहीं, दो टैक्स सिस्टम पर वित्त मंत्री ने कहा “दो टैक्स सिस्टम के जरिए सरकार लोगों को ज्यादा विकल्प और अच्छा विकल्प दे रही है। लोगों को टैक्स बचाना है तो वो पुराने टैक्स सिस्टम को छोड़ सकते हैं और नए टैक्स सिस्टम में आ सकते हैं।” वित्त मंत्री ने कहा कि लोगों के पास ये विकल्प है कि वो किस टैक्स रिजीम में रहकर मैक्सिमम लाभ उठा सकते हैं।
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