Dolo-650: कोरोना महामारी के दौरान चर्चा में रही पैरासिटामोल दवा ‘डोलो’ की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि फार्मा कंपनी ने बुखार की दवा डोलो-650 मरीजों को देने के लिए डॉक्टरों को 1 हजार करोड़ रुपए के फ्री गिफ्ट बांटे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से 7 दिन में जवाब मांगा है।
बता दें कि फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMRAI) की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय पारिख ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने इस बात का दावा किया है। एडवोकेट पारीख ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT ) की रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया है।

FMRAI की ओर से दायर की गई याचिका
याचिकाकर्ता FMRAI की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख और अधिवक्ता अपर्णा भट ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की एससी बेंच को बताया कि 500 मिलीग्राम से ऊपर की दवा की कीमत एक फार्मा कंपनी तय कर सकती है। हालांकि, 500 मिलीग्राम तक के टैबलेट के लिए बाजार मूल्य सरकार के मूल्य नियंत्रण तंत्र के तहत नियंत्रित होता है।
एडवोकेट पारिख ने आगे कहा कि डोलो 650 टैबलेट के निर्माता ने मुफ्त उपहार दिए ताकि डॉक्टर उसकी दवा को बढ़ावा दें, ताकि ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाई जा सके। वहीं, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे भी कोरोना के दौरान डॉक्टर ने डोलो दवा की सिफारिश की थी। यह एक गंभीर मुद्दा है।
Dolo-650 मेकर पर छापेमारी
बता दें कि आयकर विभाग ने छह जुलाई को बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स के 36 परिसरों पर छापा मारा था, जो नौ राज्यों में दवा बनाती है। छापेमारी के बाद आयकर विभाग ने कहा कि यह समूह दवाओं की भारी मात्रा में बेहिसाब बिक्री में शामिल था। I-T विभाग ने कंपनी का नाम लिए बिना कहा, “बड़ी मात्रा में खरीद, मजदूरी का भुगतान और अन्य खर्च भी नकद में किए गए थे।” कुछ दिनों बाद 13 जुलाई को, सीबीडीटी ने डोलो निर्माता पर डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों को लगभग 1,000 करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार वितरित करने का आरोप लगाया था।
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