ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां इस बात से परेशान हैं कि 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने से नए गेम में निवेश करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी। यही नहीं नकदी प्रवाह के साथ-साथ इसका व्यापार विस्तार पर भी असर पड़ेगा। दरअसल जीएसटी परिषद ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और हॉर्स रेसिंग पर 28 प्रतिशत टैक्स लगाने पर सहमत हो गई है। टैक्स फुल फेस वैल्यू पर लगाया जाएगा।
इस पर गेमिंग कंपनियों का कहना है कि परिषद का निर्णय असंवैधानिक, तर्कहीन है। यह निर्णय 60 वर्षों से अधिक के स्थापित कानूनी न्यायशास्त्र की अनदेखी करता है और जुआ गतिविधियों के साथ ऑनलाइन गेमिंग को जोड़ता है। यह निर्णय पूरे भारतीय गेमिंग उद्योग को खत्म कर देगा और लाखों लोगों की नौकरियां चली जाएंगी।
कंपनियों ने कहा कि जब केंद्र सरकार उद्योग का समर्थन कर रही है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मामले का विस्तार से अध्ययन करने वालों के विचारों को नजरअंदाज करते हुए ऐसा निर्णय लिया गया है। बता दें कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने बार-बार सरकार और जीएसटी परिषद से अपने सेगमेंट पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का आग्रह किया था।
कंपनियों का मानना है कि 28 प्रतिशत टैक्स दर गेमिंग उद्योग के लिए चुनौतियां लाएगा। टैक्स का बोझ ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को अलाभकारी बना देगा। यही नहीं इससे कालाबाजारी को भी बढ़ावा मिलेगा। कंपनियों का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग जुए से अलग है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन कौशल-आधारित गेम को भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में संरक्षित वैध व्यावसायिक गतिविधि के रूप में बताया है।
गेमिंग उद्योग के जानकारों का कहना है कि टैक्स का बोझ देश के विशाल गेमिंग उद्योग पर भी असर डालेगा और नए लोगों को उद्योग में प्रवेश करने से रोकेगा। इससे लोग अवैध सट्टेबाजी की ओर जाएंगे।