Tripura Election: त्रिपुरा में एक बार फिर बीजेपी ने जीत हासिल की है। त्रिपुरा चुनाव में बीजेपी की वापसी के तीन बड़े कारण हैं। इसमें विकास वाली योजनाएं, मुख्यमंत्री की लोकप्रियता और डेमोग्राफी का असर शामिल है। आइए जानते हैं बीजेपी की वापसी की क्या है वजह?
Tripura Election: विकास के नाम पर बीजेपी को मिले वोट
एग्जिट पोल के दौरान 44 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्होंने विकास के नाम पर बीजेपी को वोट दिया। वहीं विकास के नाम पर लेफ्ट-कांग्रेस को सिर्फ 32 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया। 10 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्होंने किसी पार्टी को सिर्फ इसलिए वोट दिया है क्योंकि उन्हें उनकी योजनाओं का जमीन पर फायदा मिला है। ऐसे में कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री माणिक साहा की लोकप्रियता लोगों के बीच में अच्छी है। चुनाव के नतीजे आने से पहले 27 फीसदी लोग माणिक साहा को बतौर मुख्यमंत्री देखना चाहते थे। वहीं सिर्फ 14 फीसदी लोग लेफ्ट-कांग्रेस के जितेंद्र चौधरी को बतौर सीएम देखना चाहते थे। हालांकि बीजेपी को हर इलाके से बंपर वोट मिले।
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बता दें कि बीजेपी को इस बार महिलाओं ने बढ़ चढ़कर वोट दिया। रिपोर्ट के मुताबिक त्रिपुरा में युवाओं की पहली पसंद बीजेपी है, इसका मुख्य कारण राज्य में विकास है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के बाद एक्जिट पोल में ये बात सामने आई कि डेमोग्राफी के लिहाज से बीजेपी को हर वर्ग का वोट मिला।
गौरतलब है कि त्रिपुरा चुनाव में भाजपा अपनी सहयोगी आईपीएफटी के साथ मैदान में उतरी थी। वहीं कांग्रेस और सीपीआईएम इस चुनाव में एक साथ थे। जानकारी के अनुसार भाजपा यहां 55 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उसकी सहयोगी आईपीएफटी 5 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। मालूम हो कि त्रिपुरा के शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व में टिपरा मोथा यहां की 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।
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