Karnataka Election Result: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आज यानी शनिवार को नतीजे आ रहे हैं। करीब छह घंटे से ऊपर हो चुके हैं और अभी तक के जो रुझान सामने आ आए हैं उसमें कांग्रेस जीतती हुई नजर आ रही है। वहीं, बीजेपी इस बार कर्नाटक की सत्ता से बाहर होती दिख रही है। आपको बता दें कि कर्नाटक के कुल 224 विधानसभा सीटों के लिए 10 मई को मतदान हुए थे। राज्य में फिलहाल बीजेपी की सरकार है और इस बार कर्नाटक में बदलाव होता दिख रहा है। अब सवाल बीजेपी की हार को लेकर लगातार उठ रहे हैं।
सवाल यह भी है कि जब केंद्र में भी बीजेपी और कर्नाटक में भी बीजेपी रही है तो इस बार कर्नाटक में डबल इंजन की सरकार क्यों खत्म हो रही है? पीएम मोदी ने अपनी चुनावी प्रचार के दौरान कई बार इस बात को जोर देकर कहा है कि कर्नाटक को डबल इंजन की सरकार देश का नंबर एक राज्य बनाएगी। हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। आइए जानते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी की हार के कौन-कौन से मुख्य कारण रहे…
Karnataka Election Result
Karnataka Election Result:मुस्लिम आरक्षण को खत्म करना
कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। राज्य की कुल जनसंख्या 6 करोड़ 11 लाख है। इनमें से करीब 12.92 फीसदी मुस्लिम आबादी है। संख्या की बात करें तो कर्नाटक में इनकी आबादी 78.93 लाख है। इस कारण कर्नाटक की राजनीति में इनकी अच्छी पैठ भी है। बीजेपी सरकार ने राज्य में चुनाव से पहले मुस्लिमों को मिल रहे 4 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया था। हालांकि, कांग्रेस ने इस मामले को अपनी मजबूती बनाने का दावा किया और उन्होंने कर्नाटक की जनता से वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वे मुस्लिम आरक्षण को फिर से लागू ही नहीं करेंगे बल्कि 4 फीसदी से बढ़ाकर उसे 6 फीसदी कर देंगें।
मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर बीजेपी हमेशा यह कहती रही कि देश का संविधान धर्म के नाम पर आरक्षण देने की बात नहीं करता। बीजेपी के नेताओं का यही मनना था कि धर्म के नाम पर आरक्षण संविधान और देश के खिलाफ है। हलांकि, कांग्रेस इस मामले में अपनी चाल में कामयाब होती हुई दिख गई। बीजेपी के द्वारा मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने पर इस समुदाय के लोगों में भाजपा के प्रति नाराजगी भी देखी गई। कर्नाटक चुनाव में मुस्लिम आरक्षण एक बड़ा मुद्दा भी बना था।
Karnataka Election Result: बीजेपी के बागी नेता और विधायक
बीजेपी की हार के सबसे बड़े कारणों में इसके विधायकों और बड़े नेताओं का पार्टी से नाराज होना बताया जा रहा है। आपको बता दें कि बीजेपी के पूर्व नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। राजनीतिक विश्लेषकों ने इन दोनों नेताओं का कांग्रेस में जाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका माना। शेट्टार तो कर्नाटक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये लोग बीजेपी से इस बार टिकट ना मिलने से नाराज चल रहे थे। आपको बता दें कि पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को भी इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था, हालांकि उनके बेटे को टिकट मिला था। कई लोगों का कहना है कि पार्टी में येदियुरप्पा को ऐसे नजरअंदाज करना बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है।
ऐसे ही बीजेपी में कई विधायक भी थे जिन्हें इस बार पार्टी ने चुनाव का टिकट नहीं दिया था। खुद सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा था कि वे पार्टी में युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए कुछ सीटिंग विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिए हैं। उन्होंने जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी जैसे बड़े नेताओं का पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले जाने पर पार्टी के लिए अच्छा नहीं बताया था। सीएम बोम्मई ने हालांकि यह भी कहा था कि इससे जो नुकसान हुआ है उसे पार्टी पूरा कर लेगी, लेकिन यह नुकसान बीजेपी को कर्नटाक में कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गई।
Karnataka Election Result: बोम्मई सरकार पर 40 फीसदी कमीशन का आरोप
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी की हार केवल उसके फैसले से ही नहीं बल्कि कांग्रेस के बड़े आरोपों से भी तय किए गए हैं। कांग्रेस लगातार कर्नाटक की बोम्मई सरकार पर 40 फीसदी कमीशन का आरोप लगाती रही है। कांग्रेस के नेता बीजेपी पर ये आरोप लगाते रहे कि राज्य की बीजेपी सरकार लोगों का काम कराने के लिए उनसे 40 फीसदी तक कमीशन लिए। यह आरोप बीजेपी पर इस चुनाव में भारी पड़ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस मामले को चुनाव प्रचार के दौरान खुब भुनाया और उन्हें इसमें अब कामयाबी मिलती हुई दिख रही है।
नहीं आया बजरंग बली और गालियों का मुद्दा काम
आपको बता दें कि कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को जहरीला सांप बताया था। इस मुद्दे को बीजेपी ने भुनाने की कोशिश की। हालांकि, खड़गे ने अपने इस बयान पर यह कहते हुए खेद भी जताया था कि उन्होंने जहरीला सांप पीएम मोदी को नहीं बल्कि बीजेपी और उसकी विचारधारा को कहा था। पीएम मोदी ने भी कर्नाटक में चुनावी प्रचार के दौरान गालियों को लेकर कहा था कि उन्हें कांग्रेस के नेताओं ने 900 से ऊपर गालियां दी। लेकिन गालियों की भावनात्मक फायदा भी शायक बीजेपी को कर्नाटक चुनाव में नहीं मिल पाया।
इसके बाद मुद्दा आता है बजरंग दल का। दरअसल, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में यह वादा किया था कि अगर उनकी सरकार कर्नाटक में बनती है तो वे राज्य में बजरंग दल को बैन कर देंगे। कांग्रेस के इस वादे के बाद बीजेपी ने मुद्दा बजरंग दल से बजरंग बली का बना दिया था। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे बजरंग बली के सेवकों यानी बजरंग दल को बैन करना चाहते है। बीजेपी ने इसे बजरंग बली और सनातन धर्म का अपमान बताया था। हालांकि, चुनावी नतीजों को देखें तो बीजेपी इस मुद्दे को भी अच्छे से कर्नाटक में नहीं उठा पाई या फिर खुद जनता ने ही इस मुद्दे को एक सीरे से नकार दिया। क्योंकि वोट देने के बाद कर्नाटक के लोगों का कहना था कि वे राज्य में सांप्रदायिक माहौल नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि सारे धर्म एक साथ मिलकर रहे। वे राज्य में विकास और रोजगार चाहते हैं।
ढह गया BJP का दक्षिण का किला
कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी की हार दक्षिण में उसके किले के ढहने के जैसा है। आपको बता दें कि दक्षिण के पांच बड़े राज्य, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में से कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य रहा है जहां बीजेपी का जनाधार काफी अच्छा रहा है। लेकिन अब उसकी यहां पर हार उसके जनाधार पर भी कड़ा प्रहार है। कर्नाटक में हार के कारण बीजेपी के मिशन साउथ को बड़ा झटका लगा है।
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