उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत आजमाने में जी जान से लगे हैं। यह सही भी है क्योंकि देश के सबसे बड़े राज्य की राजनीति से ही केंद्र की सत्ता तय होती है। उत्तरप्रदेश विधानसभा के तीन चरणों का मतदान हो चुका है। चौथे चरण का मतदान जारी है। हर पार्टी और प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तरप्रदेश में पहली बार चुनाव लड़ रही ऑल इंडिया मज्लिस ए इतेहदुल मुसलिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी एपीएन न्यूज़ के स्टूडियो पहुंचे थे। ओवैसी से हमारे मैनेजिंग एडिटर विनय राय ने चुनाव सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनसे बातचीत की,उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश–
इंटरव्यू की शुरुआत करते हुए मैनेजिंग एडिटर विनय राय ने ओवैसी के हैदराबाद से बाहर निकलते ही विवाद में रहने की वजह पूछते हुए उनसे जानना चाहा कि क्या यह सच है कि उन्हें सपा सरकार ने दो साल से रैली करने की इज्ज़त नहीं दी? जवाब देते हुए ओवैसी ने इस बात को सही बताया और साथ ही कहा कि अगर निर्वाचन आयोग न होता तो मुझे आज भी यूपी में रैली करने की इज़ाज़त नहीं मिलती, हमारी रैली और बैठकों में भीड़ जमा हो रही है। हमारे लिए भीड़ को वोट में बदलना चुनौती है। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि सपा से लोग नाराज हैं और सपा–कांग्रेस या बीजेपी कोई भी पार्टी इस बार सरकार नहीं बना सकेगी क्योंकि दोनों में से किसी ने कोई काम नहीं किया है।
बातचीत को आगे बढ़ाते हुए जब पश्चिमी उत्तरप्रदेश में अल्पसंख्यक वोट बैंक के विकास और न्याय के बारे में पूछा गया तो जवाब में ओवैसी ने कहा, ‘पश्चिम उत्तरप्रदेश में कई ज़िले मुस्लिम आबादी वाले हैं लेकिन न तो यहाँ विकास का कोई काम हुआ न ही राज्य के 55,000 करोड़ के शिक्षा बजट का कोई फायदा मिला है। अखिलेश आज तक अपने 2012 चुनावों के घोषणापत्र में 18 फीसदी आरक्षण के वादे को पूरा नहीं कर सके और झूठ बोलते रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण से सम्बंधित 51 फीसदी के निर्देश को याद दिलाते हुए जब ओवैसी से पूछा गया कि इन परिस्थितियों में अलग से आरक्षण कैसे संभव है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कई राज्यों में पहले से अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण लागू है। महाराष्ट्र में 4 फीसदी आरक्षण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा की बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुसलमानों की शिक्षा,विकास में पिछड़ेपन जैसी “विशेष परिस्थितियों” को देखते हुए उन्हें आरक्षण देने का आदेश दिया था। उत्तरप्रदेश में मुसलमानों के आरक्षण और विकास की सरकार की नियत ही नहीं थी इनके राज में 400 दंगे हुए हैं। आज तक एक में भी किसी पीड़ित को न्याय नहीं मिला न ही इन्होने कोशिश की है। बस मुआवजा और पैसा देना जानते हैं लेकिन यह नहीं जानते की न्याय और इंसाफ पैसे से नहीं मिलता है।”
ओवैसी अपनी तल्ख़ बयानबाजी के लिए भी जाने जाते हैं। इसी तरह उनके मुलायम सिंह यादव पर दिए हुए बयानों को जब उन्हें दिखाते हुए पूछा गया कि क्या यह भाषा सही है? इसपर संशय में पड़े ओवैसी ने खुद के बयान को सही बताते हुए कहा कि मुज्ज़फरनगर दंगों में हुई बर्बरता में आज तक न्याय नहीं दिला सके,बाबरी मस्जिद गिरने के इतने साल बीत गए लेकिन एक अधिसूचना नहीं ला सके और खुद को मुसलमानों का सच्चा समर्थक बताते हैं।
मुलायम सिंह यादव द्वारा बलात्कार की घटना के बाद दिए बयान जिसमे उन्होंने कहा था कि नौजवानों से गलतियाँ हो जाती है पर बोलते हुए ओवैसी ने कहा अगर यही घटना खुदा न खास्ते उनके घर परिवार में हो जाये तो क्या वह इस बयान पर कायम रहेंगे? यूपी की सरकार महिलाओं की दुश्मन है,इंसाफ की दुश्मन है,ये विकास नहीं चाहते ये लोग बस वोट लेना और धमकाना जानते हैं।
लोकसभा चुनावों में यूपी में भाजपा की जीत और अन्य की हार पर बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि यह दुर्भाग्य है हमारा कि 19 फीसदी की आबादी रहते हुए हम एक सीट न जीत सके। देशविरोधी होने के आरोप पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारी राजनीतिक सोच अलग है लेकिन जहाँ मुल्क की बात होगी वहां मै बीजेपी के साथ खड़ा हूँ मेरा मुल्क पहले है मुझे आरएसएस से देशभक्ति का प्रमाणपत्र लेने की जरुरत नहीं है।
ओवैसी से जब नोटबंदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक बताया और कहा कि अगर इससे हमारी जीडीपी में दो फीसदी की भी गिरावट होती है जैसा कि अनुमान है तो हमें दो लाख साठ हज़ार करोड़ का नुकसान होगा। इसलिए यह गलत फैसला था।
ओवैसी से जब यूपी में बनने वाली सरकार से उनकी उम्मीद पूछी गई तो उन्होंने कहा कि, “विकास का काम हो और कानून का राज कायम हो,न्याय और इंसाफ मिले बस यही उम्मीद करते हैं।” ओवैसी ने इस बातचीत में कई अन्य मसलों पर बातचीत करते हुए खुल कर अपने विचार साझा किये और हर सवाल का बेबाकी से जवाब दिया।