25 साल बाद आज विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया। जिसमें आपराधिक साजिश करने वाले नेताओं के खिलाफ मुकद्दमा चलाना तय किया गया इसके अलावा दो साल के अन्दर  इस केस का फैसला किया जाएगा। फैसले में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों पर केस चलाने की बात कही गई है। हालांकि कल्याण सिंह पर अभी मुकदमा नहीं चलेगा क्योंकि वह राजस्थान के राज्यपाल हैं  बाबरी मस्जिद केस एक ऐसा केस है जिसकी गुत्थी को समझने में ही 25 साल लग गए और अब सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।

बता दें कि बाबरी मस्जिद के मामले में दो केस दर्ज हैं, पहला केस मंदिर या मस्जिद होने को लेकर है,और दूसरा केस ढांचा गिराने को लेकर है इसी दूसरे केस में बीजेपी के नेताओं पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने  6 दिसंबर 1992 को स्टेज पर खड़े होकर हिंसा भड़काने का काम किया। केस पर सुनवाई करते हुए आपराधिक साजिश का आरोप दर्ज कर नेताओं पर 120 बी धारा के तहत मुकद्दमा चलाने का फैसला आज कोर्ट ने सुनाया है। केस में लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे बीजेपी के बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं जो राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के पद पर होने वाले चुनावों की रेस में हैं । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने विवादित बयान दिया और कहा कि जो कुछ हुआ था वह आपराधिक साजिश नहीं था, बल्कि खुल्लम-खुल्ला हुआ था। राम मंदिर बनकर रहेगा भले ही इसके लिए हमें जेल जाना पड़े।

इन सारी बातों को जोड़कर देखा जाए तो कुछ सवाल निकल कर आते हैं, क्या 2 साल बाद भी फैसला आ पाएगा? क्या गुनहगारों को सजा मिल पाएगी? फैसले के पीछे कोई राजनीतिक रंग है ? भविष्य में इस फैसले का क्या असर होगा? इन्हीं तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए एपीएन के खास शो मुद्दा में अलग अलग क्षेत्रों से विशेषज्ञों को बुलाया गया।

विशेषज्ञों में आचार्य विक्रमादित्य (हिन्दू धर्मगुरु), मुन्ना कुमार शर्मा (राष्ट्रीय महासचिव हिन्दू महासभा), जस्टिस आर बी मिश्रा (पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट), मुफ़्ती शमून कासमी (मुस्लिम धर्मगुरु), विनय राय (मैनेजिंग एडिटर APN), गोविन्द पन्त राजू (सलाहकार संपादक APN), सुरेन्द्र राजपूत (प्रवक्ता ,कांग्रेस), मोहम्मद सुफिया निजामी (प्रवक्ता दारुल उलूम फिरंगी महल), नरेन्द्र सिंह राणा (प्रवक्ता, बीजेपी) शामिल थे। शो का संचालन एंकर हिमांशु दीक्षित ने किया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपनी राय देते हुए जस्टिस बी आर मिश्रा ने कहा कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था और सीबीआई किसी सरकार की नहीं होती। वह एक स्वतंत्र एजेंसी है और उनकी ही याचिका पर आपराधिक साजिश का यह मुकद्दमा चलाया गया। जो गुनहगार होगा उसको सजा मिलेगी।

आचार्य विक्रमादित्य ने कहा कि हिंदूओं की आत्मा हैं राम और आज से कुछ वर्ष पूर्व हिंदू लोगों की आस्था पर आघात किया गया था। हिंदू लोगों की सहनशीलता को परखा जा रहा है। अब राम-भूमि पर राम-मंदिर ही बनेगा ना, बाबरी मस्जिद नहीं।

मौलाना मोहम्मद सुफिया निजामी ने कहा कि इस मुद्दे पर सियासत होती रही है और दंगे फसाद भी काफी हुए हैं। यह फैसला सही है, दो साल बाद बेहतरीन परिणाम आ जाता है तो अच्छा रहेगा। उमा भारती के बयान पर मौलाना ने कहा कि इसको राजनीतिक रंग दे दिया गया है, उमा भारती के बयान का यह मतलब है कि उनको कोई अफसोस नहीं है।

मुन्ना कुमार शर्मा ने कहा कि बाबरी मस्जिद राम भूमि पर एक कलंक था और इसी कलंक को मिटाने के लिए कारसेवकों को बुलाया था, इसमें कोई षडयंत्र नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इसे साजिश मानकर मुकद्दमा चलाती है तो हम जेल जाने को तैयार हैं। बाबर दूसरे देश से आया था, वह एक लुटेरा था तो उसके नाम पर भारत में मस्जिद क्यूं? राम भूमि पर उनका मंदिर ही बनना चाहिए।

मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक मिसाल कायम की है, उसकी सराहना की जानी चाहिए। हमारे देश की संस्कृति यह कहती है कि न मंदिर का अपमान हो और न ही मस्जिद का और हमारी यह संस्कृति परवान चढ़नी चाहिए। शासकों का कोई धर्म नहीं होता, उन्हें हमेशा निष्पक्ष रहना चाहिए और कोई भी मजहब, मजहब नहीं होगा जो दूसरों पर आक्रमण करें।

सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि 25 साल तक बीजेपी ने मामले को उलझा कर रखा, अब कोर्ट के फैसले के बाद अहम् पदों पर बैठे नेताओं को नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कल्याण सिंह पर मुकद्दमा नहीं चला क्योंकि वह राज्यपाल हैं, उनको पद से इस्तीफा देकर मुकद्दमे का सामना करना चाहिए।

नरेंद्र राणा ने कहा कि 25 सालों से चल रहे इस मुकद्दमे का फैसला 2 साल में आ जाएगा और इसी के साथ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। रही बात इस्तीफे की तो अगर हमारे नेता दोषी पाए जाते हैं तो इस्तीफा भी दे दिया जाएगा। फैसला जो भी आए हम उसका स्वागत करेंगे।

विनय राय ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को घटना के वक़्त वहां मौजूद बीजेपी नेताओं पर आरोप लगा कि उन्होंने जनता को उकसाया है और आपाराधिक साजिश की है। केस में 25 साल लगने का कारण यह है कि अपराध एक है और एफआईआर दो दर्ज की गई, एक वीआईपी लोगों के खिलाफ और एक कारसेवकों के खिलाफ, यहां वीआईपी कल्चर दिखाई देता है। मुद्दे पर अब तक जमकर राजनीति हुई है, कई तरह के उतार-चढाव आए हैं। अभी यह मुद्दा और भी गर्म होगा और 2019 के लोकसभा चुनावों के ईर्द-गिर्द घूमेगा। लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल हैं और अगर पद से इस्तीफा देकर वह यह कह देते हैं कि जब तक हम निर्दोष साबित नहीं होंगे, संसद में कदम नहीं रखेंगे तो निश्चिच तौर पर वे इस दौड़ से बाहर हो जाएंगे।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनता में कानून-राज के मजबूत होने का  भरोसा पैदा करता है। फैसले के पीछे कोई राजनीति नहीं है यह सीबीआई की दलीलों से साफ है, फैसले के पीछे कोई ऐसा मकसद नहीं है कि किसी भी नेता को किसी दौड़ से बाहर किया जाए। सीबीआई निष्पक्ष है। इस फैसले में सीबीआई के साथ दलीलें अयोध्या के पक्षधर की भी थी, दोनों को मद्देनजर रखते हुए ही फैसला सुनाया गया है। उमा भारती के बयान पर गोविंद पंत राजू ने कहा कि उन्होंने बयान केंद्रीय मंत्री के हिसाब से नहीं बल्कि राम-जन्म भूमि आंदोलन के नेता की दृष्टि से दिया है और राम के नाम पर ऐसे भड़काऊ बयान देने वालों को छूट नहीं मिलनी चाहिए।

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