German Election Results : जर्मनी (Germany) में रविवार को हुए चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में अनुमान के मुताबिक परिणाम नहीं आए। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SDP) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन ज्यादा सीटें नहीं मिलीं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगली सरकार बनने में लंबा समय लग सकता है। तब तक एन्जेला मर्केल को ही देश की सत्ता संभालनी होगी। बता दें कि जर्मनी में यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि 16 वर्षों से जर्मनी की सत्ता में रहीं चांसलर एन्जेला मर्केल विदाई ले रही हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि वह इस बार चांसलर की दौड़ से बाहर हैं।
इस चुनाव में धुर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर ड्यूशलैंड (Alternative for Deutschland) और धुर वामपंथी पार्टी डाय लिंके को नुकसान हुआ है, जबकि एसपीडी, ग्रीन पार्ट और मुक्त बाजार की समर्थक फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफपीडी) को लाभ हुआ है। डाय लिंके की सीटें घट गईं, वहीं माना जा रहा है कि एसपीडी, ग्रीन पार्टी और डाय लिंके मिल कर वामपंथी सरकार बना लेंगी।
ओलाफ शोल्ज बन सकते हैं चांसलर
जानकारों का कहना है कि एसपीडी और एन्जेला मर्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) की मिली-जुली सरकार बन सकती है। ऐसे में कुछ खास बदलाव नहीं होगा। नीतियां वहीं रहेंगी। चांसलर का पद एसपीडी के नेता ओलाफ शोल्ज को मिल जाएगा। पिछले 12 साल से जर्मनी में इन दोनों पार्टियों की साझा सरकार रही हैं। एन्जेला मर्केल की सरकार में शोल्ज वित्त मंत्री थें।
सीडीयू का इस बार 1949 के बाद का सबसे खराब नतीजे रहे, लेकिन उसके नेता अरमिन लैशेट ने चांसलर पद पर अपना दावा नहीं छोड़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में ऐसा कई बार हुआ, जब चुनाव में दूसरे नंबर पर रही पार्टी की सरकार बनीं। 1969 में सीडीयू 3.5 फीसदी वोटों के अंतर से आगे रही, लेकिन एसपीडी के नेता बिली ब्रांट ने एफडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस बार सीडीयू पर एसपीडी की बढ़त सिर्फ 1.6 फीसदी वोट की है।
बता दें कि स्कोल्ज सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार माने जा रहे थे, खासकर उनकी लोकप्रियता तब बढ़ी जब कि उम्मीदवार आर्मिन लास्केट को जुलाई में बाढ़ से त्रस्त शहर की यात्रा पर हंसते हुए देखा गया था। यह एक ऐसी गलती थी, जिसने पार्टी की अंदरूनी कलह को बढ़ा दिया।