Navi Mumbai के तलोजा जेल से एक कैदी 25 फिट लंबी दीवार कूद कर भाग गया है। खारघर पुलिस आरोपी की तलाश में जुट गई है। आरोपी संजय महेंद्र यादव दवा लेने के बहाने जेल से फरार हो गया। आरोपी पर साल 2018 में मुम्बई के भांडुप पुलिस स्टेशन में 302 धारा के तहत केस दर्ज है। जिसके बाद संजय महेंद्र यादव को गिरफ्तार करके तलोजा जेल में रखा गया था, पर वह कैदी भागने में कामयाब हो गया।
कैदी के फरार होने के बाद जेल की सुरक्षा पर सवाल उठाये जा रहे है। तलोजा जेल में मुम्बई ब्लास्ट के आरोपी अबू सलेम समेत कई अन्य मामले में 40 से अधिक आरोपी सजा काट रहे है। ऐसे में जेल प्रशासन की सुरक्षा में लापरवाही करना सही नही है।
आई. पी. सी. की धारा 302 क्या है?
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय दंड संहिता को 1862 में लागू किया गया था। तत्पश्चात, समाज की आवश्यकता के संबंध में, समय – समय पर आई. पी. सी. में संशोधन किए गए। भारतीय दंड संहिता के तहत सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता के बाद किए गए थे। आई. पी. सी. का महत्व इस हद तक था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी इसे आपराधिक शासन के उद्देश्यों के लिए अपनाया था।
इसी तरह, भारतीय दंड संहिता की बुनियादी संरचना, देशों में दंडात्मक कानून, फिर म्यांमार, बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि जैसे ब्रिटिश शासन के तहत भी इसे लागू किया गया।
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 कई मायनों में महत्वपूर्ण है। हत्या के आरोपी व्यक्तियों पर इस धारा के तहत ही मुकदमा चलाया जाता है। इसके अलावा, अगर मामले में हत्या के एक आरोपी को अपराध का दोषी माना जाता है, तो धारा 302 में ऐसे अपराधियों को सजा दी जाती है। इसमें कहा गया है कि जिसने भी हत्या की है, उसे या तो आजीवन कारावास या मृत्युदंड (हत्या की गंभीरता के आधार पर) के साथ – साथ जुर्माने की सजा दी जाएगी। हत्या से संबंधित मामलों में न्यायालय के लिए विचार का प्राथमिक बिंदु अभियुक्त का इरादा और उद्देश्य है। यही कारण है कि यह महत्वपूर्ण है कि अभियुक्त का उद्देश्य और इरादा इस धारा के तहत मामलों में साबित हो।
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