NEET UG 2023: नीट यूजी 2023 के नतीजे जारी कर दिए गए हैं। इस परीक्षा में करीब 20 लाख कैंडिडेट्स शामिल हुए थे। एग्जाम देश भर में निर्धारित 4 हजार से ज्यादा केंद्रों पर राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की ओर से आयोजित किया गया था। इसी बाच उत्तर प्रदेश के आगरा में एक ट्रक मैकेनिक की बेटी आरती झा ने मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए नीट-यूजी की परीक्षा पास की है। खास बात ये है कि 21 वर्षीय आरती ने देशभर में 192वां स्थान भी हासिल किया है। वह नीट के लिए 2020 से तैयारी कर रही थीं।
उसने अपनी इस सफलता क श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरती ने बताया कि उन्होनें एसएस पब्लिक स्कूल से 86 फीसदी नंबरों के साथ 2018 में 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास की और 2020 में नीट की तैयारी शुरू कर दी। वो कहती हैं कि अब मैं एमबीबीएस पर ध्यान केंद्रित करूंगी, मैंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि मुझे किस विषय में विशेषज्ञता हासिल करनी है।

उसने अपनी इस सफलता क श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरती ने बताया कि उन्होनें एसएस पब्लिक स्कूल से 86 फीसदी नंबरों के साथ 2018 में 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास की और 2020 में नीट की तैयारी शुरू कर दी। वो कहती हैं कि अब मैं एमबीबीएस पर ध्यान केंद्रित करूंगी, मैंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि मुझे किस विषय में विशेषज्ञता हासिल करनी है।
NEET UG 2023: “कहीं नींद न आ जाए, इसलिए पंखा बंद करके पढ़ती थी” -आरती के पिता
पिछले 40 साल से ट्रक मकैनिक का काम कर रहे आरती के पिता बिशम्भर झा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, पढ़ते समय नींद ना आ जाए या फिर वह पढ़ाई में पिछड़ ना जाए इस डर से आरती पंखा बंद करके पढ़ाई किया करती थी। वित्तीय समस्याओं के बावजूद उसने परीक्षा पास की है। आरती के पिता ने कहा कि परिवार को उसपर गर्व है। उन्होंने कहा कि आरती को अकसर सिर दर्द रहा करता था, लेकिन उसने इसे पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया।
न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं आरती
आरती का कहना है कि चूंकि मेरा ऑल इंडिया रैंक 192 और ओबीसी श्रेणी में 33 रैंक है, मैं आशा करती हूं कि मुझे एम्स, दिल्ली में एडमिशन मिल जाएगा और एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद मैं न्यूरोलॉजिस्ट बनूंगी।
10 रुपये बचाने के लिए पैदल तय करती थी 3 किमी का सफर
आरती एग्जाम की तैयारी के लिए अपने घर से 17 किमी दूर कोचिंग जाया करती थी और 10 रुपये बचाने के लिए रोजाना तीन किलोमीटर पैदल चलती थी। उसने बताया कि वह इसके साथ ही बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाई थी। जानकारी के मुताबिक आरती के पिता विशंभर झा एक ट्रक मैकेमिक हैं। उन्होंने एक मीडिया चैनल को बताया कि मेरी बेटी ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है और मेरा सपना पूरा कर दिया है। मैं महीने में लगभग 20,000-25,000 रुपये कमाता हूं। मुझे अपने बच्चों की शिक्षा पर एक बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है।
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