महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में एक बार फिर उत्तर भारतीयों (North Indians) और बिहारियों (Bihar) को निशाना बनाया जा रहा है। सत्ता में आने के बाद “उत्तर भारतीयों और बिहारियों को किसी से डरने की जरूरत नहीं है” कहने वाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray) खुद प्रवासियों (Migrants) पर राजनीति खेल रहें हैं।
बीजेपी का वार
दरअसल मुंबई के साकीनाका रेप केस पर सख्ती दिखाते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि, राज्य में आने वाले हर प्रवासियों पर पुलिस नजर रखें। सीएम के इस बयान पर राजनीति शुरू हो गई है। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि, उद्धव ठाकरे का यह बयान दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाला है।
मुंबई के Kandivali East से बीजेपी के विधायक Atul Bhatkhalkar ने उद्धव के इस आदेश पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “जब वोट बटोरने की बारी आती है तो शिवसेना ‘बाटी चोखा’ का कार्यक्रम आयोजित करती है। ‘केम छो वरळी’ के पोस्टर लगाती है। अब बलात्कार मामले के बाद शिवसेना सरकार ने परप्रांतीयों को बदनाम करने की साजिश रची है। क्या बलात्कारी दरींदो का भी कोई भाषा , धर्म और जाती होती है?”
साकीनाका रेप केस के बाद उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस अफसरों क अहम मीटिंग बुलाई थी। साकीनाका रेप में ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल हुआ है, ऐसे में ठाकरे ने पुलिस को आदेश दिए थे कि अवैध रूप से ऑटोरिक्शा के ट्रांसफर पर नकेल लगाई जाए।
उद्धव ठाकरे के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी के विधायक ने कांदीवली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। पार्टी कह रही है कि, सरकार अपनी विफलता का ठीकरा प्रवासियों पर फोड़ रही है।
बीजेपी विधायक ने दर्ज कराई हुई शिकायत में कहा है कि, सीएम के इस बयान से महाराष्ट्र की जनता प्रवासियों को बलात्कारी समझेगी। दो समुदायों के बीच नफरत पैदा होगी। लोगों को प्रवासी मजदूरों से डर लगेगा।
शिवसेना ने इस मामले में पलटवार किया है। शिवसेना ने कहा, यह आदेश साकीनाका रेप केस को देखते हुए दिए गए हैं। गोवा और कर्नाटक जैसे राज्य पहले से प्रवासियों का रिकॉर्ड रखते हैं। हमें लगता है कि भाजपा विधायक भटखालकर का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है।
शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा कि, महाराष्ट्र महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। छत्रपति शिवाजी के शासन काल से ही महाराष्ट्र में महिलाओं की सुरक्षा का ख्याल रखा जाता है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर महाराष्ट्र का इतिहास है।
2008 में उत्तर भारतीयों को होना पड़ा था बेघर
वैसे महाराष्ट्र की राजनीति में उत्तर भारतीयों और बिहारियों को निशाना बनाया जाना कोई नया नहीं है। यह राजनीति शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बाल ठाकरे के राज से ही चली आ रही है। राज्यों को लेकर राजनीति उन्होंने ही शुरू की थी उसके बाद इसमें बाल ठाकरे के भतीजे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने प्रवेश किया । साल 2008 में उन्होंने यूपी और बिहार की जनता पर राजनीति खेलना शुरू किया।
साल 2008 में मुंबई में उन्होंने उत्तर भारतीयों और बिहारियों को लेकर ऐसी राजनीति खेली थी कि, हजारों लोगों को घर बार छोड़कर महाराष्ट्र से भागना पड़ा था। इस राजनीति से वहां की जनता आज भी डर के साए में रहती है। घटना 2008 में हुई थी लेकिन असर महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में आज भी दिखती है।
गौरतलब है कि, 11 सितंबर को खबर सामने आई थी कि, 34 वर्षीय महिला के साथ 42 वर्षीय पुरुष ने रेप किया था। आरोपी ने रेप करने के बाद महिला को बुरी तरह पीटा था। कई रिपोटर्स ने दावा किया था कि यह घटना दिल्ली रेप केस जैसी ही थी।
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