पश्चिम बंगाल में बच्चों की तस्करी से जुड़े एक मामले में जिसकी जांच ममता बनर्जी के अधीन रहने वाली राज्य की सरकारी जांच एजेंसी सीआईडी कर रही है, बीजेपी के कुछ नेताओं पर मानव तस्करी के आरोप लगे हैं। सीआईडी डीआईजी निशत परवेज के खुलासे में बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय, रूपा गांगुली और जूही चौधरी का नाम आने के बाद राज्य में राजनीति गर्म हो गई है। इस मामले में आरोपी जूही चौधरी को भारत–नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया गया है।
सीआईडी से मिली जानकारी के अनुसार,बाल तस्करी के इस रैकेट ने कई बच्चों को भारत के अलावा अमेरिका और फ्रांस में आरोपियों द्वारा बेच दिया गया है। इस अपराध में गैर सरकारी संगठन बिमला शिशु गृह शिशुओं और बच्चों की एक कीमत तय करता था और गोद लेने के नियमों की अनदेखी कर उन्हें बेच देता था। सीआईडी अधिकारी अजय प्रसाद ने बताया कि जूही चौधरी पर 17 बच्चों की तस्करी का आरोप है
इस मामले में विमला शिशु गृह की संचालिका चंदना चक्रवर्ती सहित चार लोगों को 18 फरवरी को ही गिरफ़्तार कर लिया गया था। चंदना चक्रवर्ती ने ही पुलिस पूछताछ में पश्चिम बंगाल की भाजपा नेता जूही चौधरी,कैलाश विजयवर्गीय और रुपा गांगुली का नाम लिया था। पुलिस को दी गई जानकारी में उसने बताया था कि अनाथालय चलने में कोई दिक्कत न हो इसलिए वह इन नेताओं के संपर्क में थी।
इस मामले में नाम आने के बाद बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मैं किसी चंदना को नहीं जानता। मैं जूही चौधरी से मिला तक नहीं हूं। ये सारे आरोप बेबुनियाद हैं। हम जानते हैं कि बंगाल पुलिस वही करती है जो टीएमसी कहती है। टीएमसी की साजिश पर पहले भी जेपी मजुमदार सहित कई बीजेपी नेताओं पर आरोप मढ़े गए थे। उन्होंने कहा कि अगर जूही चौधरी दोषी है तो सजा दी जाए लेकिन बंगाल सरकार की जांच पर उन्हें भरोसा नहीं है। इसी मामले पर बोलते हुए पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने सभी आरोपों को राजनीतिक साजिश बताते हुए खारिज कर दिया।
आरोपों को ख़ारिज करने के बीच खबर यह भी आ रही है कि जूही को बीजेपी से निकाल दिया गया है। इन सब के बीच यह तो तय है की यह मामला पश्चिम बंगाल में राजनीतिक गर्मी को बढ़ाने के साथ तृणमूल–बीजेपी के बीच विवाद की एक नई वजह बन गया है।