देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगले सप्ताह देशवासियों को एक और मंदिर का तोहफा दे सकते हैं। पीएम मोदी एक और मंदिर का शिलान्यास कर सकते हैं। पीएम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्मरणीय बाबा सोमनाथ की आद्या शक्ति देवी पार्वती मंदिर का वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए शिलान्यास करेंगे। मंदिर के शिलान्यास के साथ प्रधानमंत्री सोमनाथ मंदिर परिसर के चारों ओर बनाए गए परिपथ का लोकार्पण भी करेंगे।
सोमनाथ मंदिर अरब सागर के एकदम किनारे है। मंदिर की खूबसूरती समुद्र की लहरे और बढ़ा देती हैं। यहां पर आने वाले भक्तों को सुकून मिलता है। इसे और दिलकश बनाने के लिए सरकार ने 45 करोड़ रुपये की लागत से सवा किलोमीटर लंबा वॉक वे बनाया गया है।
यहां टहलते हुए पर्यटक, श्रद्धालु और स्थानीय लोग मंदिर के दिव्य वातावरण और निसर्ग की गोद का आनंद एक साथ उठा सकते हैं। मंदिर के घंटों की गूंज और सागर की गरज एक साथ।
बता दें कि सोमनाथ मंदिर परिसर में 21 करोड़ रुपये की लागत से सफेद संगमरमर से देवी भगवती शक्ति पराम्बा पार्वती के मंदिर निर्माण का शुभारंभ 9 अगस्त को अमांत श्रावण मास की शुरुआत से हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत बड़ा है। इसपर मुगलों ने 17 बार आक्रमण किया था। महमूद गजनवी यमीनी वंश का तुर्क सरदार ग़ज़नी के शासक सुबुक्तगीन का पुत्र था। उसने सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर पर था। मंदिर पर लगा सोना उसने लूट लिया। उसके साथ उसका भांजा सालार भी था वह हिंदू पुजारियों को प्रताड़ित करता था। साथ ही हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करवाता था।
सोमनाथ मंदिर ने सत्रह बार विध्वंस देखने के बाद, आजादी के बाद देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की अगुवाई में 8 मई 1950 को सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू हुआ। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 11 मई 1951 को यहां ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराई और पहली दिसंबर 1955 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। हालांकि मंदिर 1962 में पूरा हुआ।
लेकिन ऐतिहासिक पार्वती मंदिर अभी भी परिसर में खंडहर की शक्ल में है। ये लगभग 15 ऊंचे श्रीयंत्र जैसे चबूतरे की शक्ल में है। मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक ये ऐतिहासिक संरचना इस स्थल की प्रामाणिकता और स्मारक की तरह उसी अवस्था में रखी गई है।