प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे के कामकाज को देखते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु से नाराज हैं। बीते कुछ समय में रेलवे के कामकाज पर काफी उंगलियां उठ रही हैं। एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक, रेलवे द्वारा बजट का सही इस्तेमाल न करने पर रेल मंत्रालय को एक पत्र लिखा गया है।
पीएम मोदी के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने इस सिलसिले में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल को पत्र लिखा। इसमें रेलवे द्वारा दो सालों में किए गए कामों पर सख्ती दिखाई है। पत्र में मुख्य रूप से पिछले कुछ दिनों में लगातार हो रहे रेल हादसों में 225 लोगों के मौत के आंकड़ों पर नाराजगी जताई। साथ ही रेलवे ने जो लक्ष्य खुद तय किए थे, उन्हें भी हासिल करने में नाकाम रही है।
पीएमओ की ओर से भेजे गए पत्र में लिखा है कि “रेल सुविधाओं के आधुनिकीकरण और विकास के प्रति सरकार की संजीदगी से आप (रेलवे बोर्ड) अच्छी तरह वाकिफ है। इसके बावजूद 2016 में 531 किलोमीटर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का काम ही हो पाया जबकि लक्ष्य 1,500 किलोमीटर का तय किया गया था। इसी तरह रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण का लक्ष्य भी 2,000 किलोमीटर रखा गया था, लेकिन यह काम सिर्फ 1,210 किलोमीटर में ही पूरा हो पाया है।”
पत्र में लिखा है, “अगले बजट में अगर मंत्रालय आवंटित राशि बढ़वाने का प्रस्ताव रखता है तो उसे इस वित्त वर्ष में दी गई राशि का समुचित उपयोग कर उसका औचित्य सिद्ध करना होगा।” सूत्रों के मुताबिक यह चेतावनी इसलिए दी गई है क्योंकि रेल मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के बजट का 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा शुरुआती तिमाहियों में इस्तेमाल ही नहीं कर पाया था। उसने आखिरी तिमाही में खर्च की रफ्तार बढ़ाई। बताया जाता है कि मंत्रालय अपने संसाधनों का भी भरपूर इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है।
हालांकि इस सबके बावजूद रेल मंत्रालय को इस बार के बजट में 1,31,000 करोड़ की रकम आवंटित की गई है। यह अन्य किसी भी परिवहन मंत्रालय की तुलना में सबसे ज्यादा है। लेकिन पीएमओ की सख्ती से यह भी स्पष्ट है कि रेल मंत्रालय को उत्पादकता और कार्यकुशलता बढ़ानी होगी। वरन् अगले साल उसके बजट में कटौती भी की जा सकती है।