Navratri 2023: महाअष्टमी के मौके पर बुधवार को मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा।सभी ने मिलकर देवी भगवती की उपासना की।दिल्ली स्थित झंडेवालान, माता वैष्णो देवी मंदिर, कालका जी, छत्तरपुर मंदिर समेत कई जगहों पर भक्तों ने माता रानी की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद मांगा।हिंदू पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथी की शुरुआत 28 मार्च से हो चुकी है। इसका समापन 29 मार्च की रात 9 बजकर 07 मिनट पर होगा। भद्रा काल सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 8 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। इसके बाद कन्या पूजन कर सकते हैं।

Navratri 2023: जानिए कन्या पूजन का महत्व
Navratri 2023: नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन के उपरांत व्रत खोल सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन से दुख और दरिद्रता दूर होती है। 2 वर्ष की कन्या पूजन से दरिद्रता का नाश होता है।3 वर्ष की कन्या पूजन से धन-धान्य आता है।4 वर्ष की कन्या कल्याणी होती है।5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। इसके पूजन से व्यक्ति रोगमुक्त होता है। 6 वर्ष की कन्या कालिका रूप होती है।
इसके पूजन मात्र से राजयोग और विजय श्री मिलती है। 7 वर्ष की कन्या चंडिका है, इसके पूजन से ऐश्वर्य मिलता है। 8 वर्ष की कन्या शांभवी होती है। इसके पूजन से वाद-विवाद में विजय होती है। 9 वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है।10 वर्ष की कन्या सुभद्रा है, यानी अपने भक्तों के संकट हरती है।
Navratri 2023: इस तरह करें कन्या पूजन

Navratri 2023: कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करें। फूलों से द्वार पर स्वागत करें। माता रानी के नामों के जयकारे लगाएं।सबसे पहले कन्याओं के चरण धोएं। उनके माथे पर अक्षत, फूल और टीका लगाएं। उन्हें भरपेट भोजन करवाएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार भेंट भी दें। इसके बाद उनके चरण छूकर आशीर्वाद अवश्य लें।नौ देवियों के बीच आप किसी बालक को कालभैरव के रूप में बिठाकर पूजन कर सकते हैं।
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