आर्थिक रुप से तंगी झेल रहे देशों को चीन अपना गुलाम बनाने में जुटा हुआ है। इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका का नाम सबसे उपर है। पाकिस्तान तो चीन का गुलाम है इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन श्रीलंका पर भी चीन अपनी पकड़ तेज कर रहा है। जल्दी ही पाकिस्तान की तरह श्रीलंका भी चीन के सामने घूटने टेक देगा।
दरअसल खबर है कि श्रीलंका में चीनी सैनिकों को देखा गया है। ये सैनिक सेना की वर्दी में हंबनटोटा के एक तालाब में जमा मलबा निकाल रहे थे। बता दें कि हंबनटोटा यहां का एक प्राचीन तलाब है। मलबे को साफ करने वाले कर्मियों ने चीनी सैनिकों की तरह ही वर्दी पहनी थी। जिससे यह साफ हो गया है कि देश में चीन हावी हो रहा है।
हालांकि, श्रीलंका कैबिनेट के प्रवक्ता केहेलिया रंबुकवेला ने देश में चीनी सेना की मौजूदगी की रिपोर्ट को खारिज किया। उन्होंने दावा किया कि 29 जून को चीनी वर्करों ने जो यूनिफॉर्म पहनी थी वह लोकल वर्कशॉप में काम करने वाले श्रीलंकाई वर्करों की वर्दी जैसी ही थी।
वहीं श्रीलंका के कानून के अनुसार, सेना में काम न कर रहे लोगों के वर्दी पहनने तो क्या उसे रखने तक पर भी प्रतिबंध है। इस पर उस व्यक्ति को गिरफ्तार करके दंडित किया जा सकता है।
श्रीलंका की सरकार ने कुछ दिनों पहले ही कोलंबो पोर्ट सिटी प्रोजेक्ट पर चीन के साथ समझौता किया था। चीन को कोलंबो पोर्ट सिटी तैयार करने का जिम्मा मिला है और 99 साल तक उसका संचालन भी बीजिंग के ही पास रहेगा। इस सिटी में चीन की इजाजात से ही लोग आ-जा सकेंगे। विरोधियों ने इस प्रोजेक्ट को श्रीलंका की संप्रभुता के खिलाफ बताया है।
बता दें कि चीनी सैनिकों को अपने देश में देखकर विपक्षी पार्टियां सरकार पर हावी हो गई हैं। श्रीलंका की विपक्षी पार्टियों ने चीनी सैन्य वर्दी में मौजूद विदेशियों को लेकर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे कई सबूत हैं, जिससे साबित होता है कि लोगों ने जो वर्दी पहनी थी वह चीनी सेना की थी। इतना ही नहीं, मलबा खोदने का काम भी श्रीलंका के पुरातत्व विभाग से मंजूरी लिए बिना ही किया गया। तस्वीरों के वायरल होते ही चीनी सैनिकों को काम रोकना पड़ा।
यहां पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का जिक्र करें तो पाकिस्तान में भी चीन ने चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की निगरानी के लिए कई सैन्य कंपनियां तैनात की हुई हैं। True Ceylon की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर चीन अपने सैनिकों को आम नागरिकों की तरह हंबनटोटा की निगरानी के लिए तैनात करता है तो यह श्रीलंका के लिए हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए।