-Mihir
Amritpal Singh: इसे अमानत में खयानत कहिए या दोस्ती में दगाबाजी, दीप सिद्धू और अमृतपाल की कहानी इशारा तो यही करती है।पंजाब के पॉपुलर एक्टर और सिंगर दीप सिद्धू ने वारिस पंजाब दे संस्था की नींव रखी थी। लालकिला कांड के विलेन माने जाने वाले दीप सिद्धू ने सितंबर 2012 में वारिस पंजाब दे संगठन की नींव रखी लेकिन फरवरी 2022 में दीप सिद्ध की हरियाणा में हुए सड़क हादसे में मौत हो गई। दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल एक्टिव हो गया, खुद को संगठन का चीफ घोषित कर दिया और पंजाब में अलगाववादी आंदोलन की आंच को हवा देने लगा।

Amritpal Singh: दीप सिद्धू और अमृतपाल के स्टाइल में फर्क
दीप सिद्धू और अमृतपाल के स्टाइल में फर्क है। दीप सिद्धू भी पंजाब की बात करते, लेकिन अमृतपाल ने आक्रामक स्टाइल अपनाया वो खालिस्तान की रट लगाने लगा। अमृतपाल के वीडियो सिरफिरे युवाओं के बीच वायरल होने लगे। अमृतपाल का एग्रेसिव स्टाइल खालिस्तान की बुझी आग को भड़काने लगा।
दीप सिद्धू के निधन तक ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन बहुत पॉपुलर नहीं था लेकिन अमृतपाल के आने के बाद जहरीले भाषणों ने इस संगठन को अचानक से खालिस्तानी अलगाववादियों का चेहरा बना दिया। खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले ज्यादातर लोग विदेशों में छिपे बैठे हैं लेकिन अमृतपाल पंजाब में डटा था, और यही वो कड़ी है जिसके चलते वारिस दे पंजाब की कमान संभालने के साथ ही अमृतपाल, अचानक से एक भटके हुए जहरीले आंदोलन का सबसे बड़ा वारिस बन गया।

‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया बनते ही विवादों में आया अमृतपाल
सिद्धू का परिवार बार-बार कहता रहा कि अमृतपाल फर्जी तरीके से संगठन का चीफ बन गया। सिद्धू के परिवारवालों का दावा है कि दीप कभी देश विरोधी बातें नहीं करता था। ये अलग बात है कि अमृतपाल का दावा इसके उलट रहा, उसकी दलील थी कि दीप के परिवार की रजामंदी के बाद ही उसने कमान संभाली।
खैर इस कहानी में सच बताने के लिए दीप सिद्धू इस दुनिया में नहीं है और जो दुनिया में बच गया है यानी अमृतपाल उसका भी द एंड करीब है।
वारिस पंजाब दे के नाम पर करोड़ों का वारे न्यारे कर रहा था अमृतपाल, उसकी सुराग में चप्पा चप्पा छान रही पुलिस कोई ऐसे सूत्र मिले हैं जिनके आधार पर दावा तो ये किया जा रहा है कि उसका लोकेशन पता लगा लिया गया है और उसे कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। वैसे कुछ सूत्रों का दावा है कि उसकी गिरफ्तारी हो चुकी है पर दिखाई इसलिए नहीं जा रही क्योंकि इस खबर से पंजाब लपटों में समा सकता है। सच जो हो लेकिन फिलहाल जो सुबूत मिल रहे हैं वो इशारा कर रहे हैं कि जालंधर में छिपा है अमृतपाल
अमृतपाल के गांव जल्लूखेड़ा में भी फोर्स तैनात
जम्मू-कश्मीर और हिमाचल से लगी पंजाब की सीमाओं को भी सील कर दिया गया है। अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर ने रविवार देर रात पुलिस के सामने सरेंडर किया था। पुलिस ने उनके पास से नकदी और पिस्टल भी बरामद की थी। अमृतपाल के आतंकी नेटवर्क से ताल्लुक रखने वाले 114 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।
बड़े ज़ोर-शोर से खालिस्तान के नाम पर देश बांटने का प्लान रचने वाला अमृतपाल अब चूहे की तरह बिल में जा छिपा है। कहीं कानपुर वाले विकास दुबे की तरह गाड़ी ना पलट जाए इसकी चिंता उसके समर्थकों को सताने लगी है। यही वजह है कि वारिस पंजाब दे के कानूनी सलाहकार ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है। अमृतपाल को अदालत में पेश करने की दरख्वास्त की गई है।
अमृतपाल पर चल रहे बवाल में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसने सिक्योरिटी एजेंसीज की नींद उड़ा दी है। अमृतपाल के फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी एजेंसियों के रडार पर आ चुका है, सूत्रों का दावा है कि कलसी के पास बीते दो साल में 35 करोड़ की विदेशी फंडिंग हुई तो क्या अमृतपाल विदेशों से पैसा जुटाकर खालिस्तान के खतरनाक ख्वाब को पूरा करने का मंसूबा बना रहा था ?
खालिस्तान के इस खलनायक के पाकिस्तान कनेक्शन का भी खुलासा हुआ है, पुलिस की तफ्तीश जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे आतंक के आका की एक एक करतूत की पोल पट्टी खुल रही है।
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