केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार की योजना पर पानी फेर दिया है जिससे केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर तनातनी बढ़ सकती है। गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार ने विधायकों की सैलेरी 400 गुना अधिक बढाने की अपील की थी। जिसका परिणाम मिला कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के विधायकों की सैलरी में इजाफा करने से जुड़े बिल को वापस भेज दिया।
गृहमंत्रालय ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के ज़रिए बिल को वापस लौटा दिया है। मुद्दे पर और ज्यादा जानकारी की मांग करते हुए कहा गया कि दिल्ली सरकार ‘वैधानिक प्रक्रिया’ के तहत इस बिल को दोबारा सही फॉर्मेट में भेजे। मोदी सरकार ने पिछले साल अगस्त में दिल्ली सरकार से इस बिल के संदर्भ में कई सवाल किए थे और इतनी ज्यादा बढ़ोतरी का व्यवहारिक पक्ष जानना चाहा था।
आपको बता दें कि 2015 में दिल्ली विधानसभा ने विधायकों की सैलरी में इजाफा संबंधी ये बिल पास करने की अपील की थी। बिल पास हो भी गया था मगर मोदी सरकार की तरफ से ग्रीन सिग्नल का इंतजार था।
क्या था बिल के प्रस्ताव में?
बिल में विधायकों की सैलरी 88 हजार से बढ़ाकर 2 लाख 10 हजार रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया था। इसके साथ विधायकों का यात्रा भत्ता भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर तीन लाख सालाना करने का प्रावधान किया। इस बिल के अनुसार, दिल्ली के विधायकों को बेसिक सैलरी- 50,000, परिवहन भत्ता- 30,000, कम्यूनिकेशन भत्ता- 10,000 और सचिवालय भत्ते के रूप में 70,000 रुपये प्रति महीने का प्रावधान था। लेकिन बिल को पास न करके मोदी सरकार ने दिल्ली सरकार को करारा झटका दे दिया है। कुल मिलाकर कहें तो दोनों सरकारें एक बार फिर आमने-सामने हैं।