देश इस समय भारी संकट से गुजर रहा है। हर तरफ कोरोना बैठा हुआ है। चारों तरफ कोरोना के कारण लोगों की मौत हो रही है। इस मौत के पीछे कोरोना वायरस जिम्मेदार है उसके साथ ही देश की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था भी जिम्मेदार है। लोग अस्पताल के बाहर दम तोड़ रहे हैं, मरीजों को मैक्स और एम्स जैसे अस्पताल के बाहर ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि, देश में कोरोना जैसी महामारी भयंकर स्तर पर फैली है। लोग परेशान हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई कंट्रोल रुम नहीं बनाया गया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की मांग कर रहे हैं। इस मौके पर सोशल मीडिया यूजर एक दूसरे की मदद भी खूब कर रहे हैं। पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा था, कि अगर कोरोना को लेकर सोशल मीडिया पर कोई शिकायत की या कोई डर फैलाया तो केस दर्ज किया जाएगा।
योगी सरकार के इस फरमान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट सीधे तौर पर केंद्र सरकार को भी भटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि, सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर या अन्य स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की शिकायत गलत नहीं है और इसे किसी भी हालत में दबाया नहीं जाना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इन तरह की शिकायतों को लेकर किसी भी तरह की प्रताड़ना होती है तो उसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि किसी भी तरह की सूचनाओं पर रोक नहीं लगाया जाना चाहिए। सूचनाओं पर रोक न्याय की बुनियादी अवधारणा के खिलाफ है। इसलिए सभी राज्यों और उसके डीजीपी को यह को यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर नागरिकों के द्वारा की जा रही शिकायत को गलत सूचना नहीं कहा जा सकता है।
बता दें कि, देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। पर केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में कोई नेशनल प्लान नहीं पेश किया गया है। न ही देश में जनता के लिए कोई कंट्रोल रुम बनाया गया है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने कंट्रोल रुम बनाया है। पर सरकार सोशल मीडिया पर मदद मांगने वालों को दबा भी रही है। वहीं केंद्र की बात करें तो केंद्र ने फेसबुक, इस्टाग्राम और ट्विटर को नोटिस भेज कर कोरोना से जुड़ी सभी पोस्ट को डिलीट करने का आदेश दिया है।
फेसबुक ने कोरोना से जुड़ी कई पोस्ट को डीलिट भी कर दिया है। जिसको लेकर अभी हाल ही में ट्विटर पर फेसबुक के खिलाफ अभियान भी चलाया गया था। कहा गया था की फेसबुक पक्षपात करता है।