Chaitra Navratri Special: नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 विभिन्न प्रकार के रूपों की पूजा होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से आरंभ हो रही हैं और इसका समापन 30 मार्च को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि के मौके पर 2 शुभ संयोग भी बनने जा रहा हैं।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व होता है।नवरात्रि में 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा की विशेष रूप से पूजा- अर्चना होती है। लोग अपने घरों में मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योत जलाते हैं और मां दुर्गा की कलश स्थापना करते हैं। हिंदू पंचांग के हिसाब से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा दिनांक 22 मार्च 23 को नवरात्रि का आरंभ होने जा रहा है।आइए जानते हैं चैैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और बहुत कुछ यहां।

Chaitra Navratri Special: कौन से शुभ योग बन रहे हैं चैत्र नवरात्रि के अवसर पर ?
Chaitra Navratri Special: इस बार चैत्र नवरात्रि शुरू होने पर शुक्ल और ब्रह्मा योग का निर्माण हो रहा है। दूसरी ओर शुक्ल योग का निर्माण 21 मार्च को सुबह 12 बजकर 42 मिनट से आरंभ होकर 22 मार्च से रहेगा । वहीं,ब्रह्मा योग के बाद इंद्र योग भी बन रहा है ।

चैत्र नवरात्रि के शुभ मुहूर्त ?
Chaitra Navratri Special:नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
कलश स्थापना की विधि आरंभ करने से पहले सूर्योदय होने से पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें। घर में बने मंदिर के अंदर साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की मूर्ति की स्थापना करें। पहले किसी बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज डालें। बर्तन के बीच में कलश रखने की जगह हो इस बात का खास ख्याल रखें। इसके बाद कलश को बीच में रखकर मौली से बांध दें। इसके बाद उस पर स्वास्तिक का निर्माण करें।कलश पर कुमकुम से तिलक लगाएं और उसमें गंगाजल भर कर रखें। फिर कलश में साबुत सुपारी ,फूल , इत्र, पंच रत्न ,सिक्का और पांच प्रकार के पत्ते डालें ।
पत्तों को इस तरह रखें कि वह थोड़ा बाहर की तरफ दिखाई दें।इसके बाद कलश को ढक कर रखें। कलश के ढक्कन में अक्षत भर दें और उस पर लाल रंग के कपड़े में नारियल को लपेटकर उसे रक्षासूत्र से बांधकर रखें। इस बार का खास ख्याल रखें के नारियल का मुंह केवल आपकी तरफ हो। देवी-देवताओं को याद करते हुए कलश की पूजा करें। कलश को तिलक लगाएं, फूलमाला चढ़ाएं और फल, मिठाई और अक्षत अर्पित करें। हर दिन नियमित रूप से जौ में पानी डालते रहें, कुछ दिनों के बाद ही जौ के पौधें बड़े होते दिखाई देने लगेंगे।
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