Uddhav Thackeray: शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी शिवसेना और उसके चुनाव चिन्ह धनुष-बाण को सीएम एकनाथ शिंदे को आयोग द्वारा दिए जाने के विरोध में यह याचिका दायर की थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अब उद्धव ठाकरे को झटका लगा है।
Uddhav Thackeray: कोर्ट में सीजेआई के सामने दोनों गुटों के वकीलों के बीच हुई लंबी बहस
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने एकनाथ शिंदे की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने उद्धव ठाकरे की याचिका का विरोध करते हुए मेंटेनबिलिटी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दो बार इसी मुद्दे पर ये दिल्ली हाईकोर्ट जा चुके हैं। अब जब आदेश आ गया है तो उसे चुनौती देने के लिए वो सीधे यहां आ गए हैं। इन्हें सीधे हाईकोर्ट जाना चाहिए। कोर्ट को इनकी याचिका पर विचार ही नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच के सामने मामला पहले से ही पेंडिंग है।
वहीं, उद्धव ठाकरे की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को चुनाव आयोग भेजा था। इसीलिए उसके फैसले को चुनौती देने हम यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि शिवसेना का संविधान ऑन रिकॉर्ड नहीं था जबकि उसके प्रमाण हैं।
सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपना फैसला बहुमत के आधार पर दिया है जो पहले से कोर्ट के सामने लंबित है। EC ने इस बात को भी नजरंदाज कर दिया कि पार्टी में टूट है और अभी यह साबित नहीं हो सकता कि बहुमत किसका है। फिर भी आदेश जारी किया।
सिब्बल ने आगे कहा “उद्धव ठाकरे गुट का पार्टी के संगठन, पदाधिकारियों और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बहुमत है। राज्यसभा में हमारा बहुमत है लेकिन सिर्फ 40 विधायकों की टूट के आधार पर ही चुनाव आयोग ने अपना फैसला दे दिया।”
कोर्ट में सीजेआई ने वकील नीरज किशन कौल से पूछा कि क्या यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित नहीं है जिसमें यह तय किया जाना है कि क्या सिर्फ विधायक दल को ही पार्टी मान लिया जाए? इसपर वकील कौल ने कहा कि विधायिक दल अलग होता है लेकिन राजनीतिक दल में किसका बहुमत है यह दसवीं अनुसूची का मसला नहीं है क्योंकि यह कहां लिखा है कि विधायकों को पार्टी में नहीं माना जाएगा।
उन्होंने कहा चुनाव आयोग ने शिवसेना के ही संविधान के आधार पर पार्टी का नाम और सिंबल दिया है। जिसमें कहा गया है कि एक गुट जिसके पास सांसदों, विधायकों और अन्य चुने हुए जनप्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त हो, वही पार्टी है। नीरज कौल ने कहा कि यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ होगा कि आप विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की शिकायत दे दें और उन्हें पार्टी की गतिविधियों में शामिल न होने दें।
वहीं, एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही चुनाव आयोग ने एक राजनीतिक पार्टी में टूट की स्थिति में पार्टी के नाम और सिंबल पर फैसला लिया। शिंदे गुट की ओर से कोर्ट को यह भरोसा भी दिलाया गया कि अभी अयोग्यता की कार्रवाई नहीं करेंगे।
सिब्बल ने कहा “चुनाव आयोग के आदेश के पैरा 109 को भी हम ने चुनौती का आधार बनाया है। इसमें हमने विधान मंडल में बहुमत के आधार पर मुद्दे को तय करने की अपील की है।” उन्होंने कहा कि क्या संबंधित हाइकोर्ट को इस मामले को सुनने का अधिकार है ? क्या दिल्ली हाईकोर्ट महाराष्ट्र के विधान मंडल के अंदर हुए घटनाक्रम को सुनेगा?
यही वजह है कि हमें निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट आना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने से किया इनकार
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के आदेश के बाद कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। फिलहाल बैंक खाते और प्रोपर्टी को टेकओवर करने पर को रोक नहीं है। हालांकि, उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है। फिलहाल के लिए कोर्ट ने उद्धव गुट को कहा कि वे उप चुनाव में अस्थाई सिंबल मशाल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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