पिछले 50 दिनों से दिल्ली की सरहद पर कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगले आदेश तक कृषि कानून को निलंबित किया जाता है। यानी की कोर्ट का फैसला आने तक सरकार कानून को लागू नहीं कर सकती है।
किसान लंबे समय से कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं। अन्नदाता कानून को पूरी तरह रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इस मसले को हल करने के लिए सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन कोई हल न निकलने के कारण कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा।
कोर्ट ने 4 सदस्यों वाली कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सर्वोच्च अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी। साथ ही कोर्ट फैसला करेगा कि इस कमेटी में कौन-कौन शामिल होगा। कोर्ट के अनुसार फिलहाल के लिए कृषि कानून को लागू नहीं किया जाएगा।
सरकार इसके पहले भी अपनी सख्ती दिखा चुका है, कोर्ट ने सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि , आप जिस तरह से इस आंदोलन को हैंडल कर रहे हैं उस से हम नाखुश हैं। हमे नहीं पता कृषि कानून बनाते समय आप ने क्या सोचा था। हमारे पास कोई दलील नहीं आई है जिसमे कानून की तारीफ हुई हो।
साथ ही कोर्ट ने आगे कहा था कि, सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों को स्थगित करने को लेकर कोई पुख्ता फैसला करती है तो हम उसके बाद आंदोलन को खत्म करने या स्थगित करने पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है और शांतिपूर्ण रहेगा। सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से हमारी आवाज को सुननी चाहिए।”
इन लोगों को कमेटी में किया गया शामिल
कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी
शेतकरी संगठन के अनिल घनवट
भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, तेजिंदर सिंह मान
AIKCC प्रमोद कुमार जोशी
बता दें कि, किसान भयानक ठंड, बारिश के समय से ही कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इसमें 40 से अधिक किसानों की मौत हो गई है। साथ ही आंदोलन के कारण गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघू बॉर्डर बंद है। जिससे एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले लोगों को खासा दिक्कत हो रही है।
गौरतलब है कि आंदोलन के कारण किसानों के हालात खराब होते जा रहे हैं। किसानों की मौत हो रही है और ठंड में बच्चे, बूढे भी आंदोलन कर रहे हैं। यही कारण है कि सरकार से बात न बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त हो गया है।