Sushma Swaraj: आज यानी 14 फरवरी को देश की पूर्व विदेश मंत्री व वाकपटुता(कुशल वक्ता) की धनी सुषमा स्वराज की जयंती है। देश उन्हें आज उनकी 71वीं जयंती पर याद कर रहा है। सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला छावनी में हुआ था। उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सदस्य थे। आज सुषमा स्वराज की जयंती पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास पहलुओं को हम आपसे शेयर करने जा रहे हैं। इसमें उनका प्यार और वाकपटुता की शानदार कहानी शामिल है…
Sushma Swaraj: कुशल वक्ता की रही हैं मिसाल
सुषमा स्वराज के बारे में कहा जाता है कि वह शुरू से ही कुशल वक्ता की धनी रही थीं। उन्होंने अंबाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत और राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया था। कॉलेज के दिनों में अपने दोस्तों और शिक्षकों के बीच वह कुशल वक्ता के रूप में एक पहचान बन गई थीं। उन्होंने अपने वाकपटुता के कॉलेज में झंडे गाड़ दिए थे। ग्रेजुएशन करने के बाद वह चंडीगढ़ की पंजाब विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई के लिए एडमिशन लीं। सुषमा स्वराज को लॉ की पढ़ाई करने के दौरान पंजाब विश्वविद्यालय की ओर से सर्वोच्च वक्ता का सम्मान भी मिला था।
1970 में शुरू की थी राजनीतिक करियर
सुषमा स्वराज ने वर्ष 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद वह जेपी आंदोलन में भी काफी सक्रिय रहीं और बाद में बीजेपी में शामिल हो गईं। राजनीति की दुनिया में इसके बाद सुषमा कभी पीछे मुड़कर नहीं देखीं और वह काफी आगे बढ़ते गईं। उनकी कुशल वक्ता की पहचान राजनीति में आने के बाद देश व दुनिया में भी मिसाल बन गया।
सुषमा स्वराज मई 2014 से मई 2019 तक मोदी सरकार में देश की विदेश मंत्री रहीं। इस दौरान उन्होंने एक विदेश मंत्री के रूप में देश-दुनिया में अपनी एक अलग ही पहचान बनाईं। उनका काम पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ कई देशों को भी पसंद आता था।
अपनी कुशल वक्ता के कारण वह जहां देश की संसद में विपक्षियों की बोलती तक बंद कर देती थीं वहीं विदेशों में भी अपने इस पहचान से भारतीयों की दिल जीत लेती थीं। सितंबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र में दिया गया उनके द्वारा हिन्दी में भाषण इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। इसपर हर भारतवासी गर्व करता है। यह भाषण काफी चर्चित रहा था। हालांकि, हिंदी के अलावा वह अच्छी संस्कृत और अंग्रेजी भी बोलती थीं।
लॉ कॉलेज में हुई थी जीवन साथी से पहली मुलाकात
सुषमा स्वराज ने अपनी कानून की पढ़ाई पढ़ने के लिए चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में नामांकन कराया था। यहीं पर एक दिन लॉ डिपार्टमेंट में उनकी पहली मुलाकात स्वराज कौशल से हुई थी। उस मुलाकात के बाद उन दोनों के बीच मुलाकातों का कई दौर शुरू हुआ। वे एक साथ कहीं घुमने जाते और कॉलेज में भी कई बार एक साथ नजर आते थे। धीरे-धीरे उनके बीच प्यार हो गया और एक दिन ऐसा आया जब सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल दोनों ही एक-दूजे के लिए शादी के बंधन में बंध गए।
आज सुषमा स्वराज की जयंती पर उनके पति स्वराज कौशल ने उन्हें याद किया है। उन्होंने साल 1951 में आई फिल्म सजा का एक गाना, जिसे लता मंगेशकर ने गाए हैं, को सुषमा स्वराज के लिए ट्वीट करके लिखा है “तुम ना जाने किस जहां में खो गए। हम भरी दुनिया में तनहा हो गए।” स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और मिजोरम के राज्यपाल हैं।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य कारणों से सुषमा स्वराज ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने से खुद मना कर दिया था। वहीं, 6 अगस्त 2019 को उनका निधन हो गया था।
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