उत्तरप्रदेश के शामली जिले के कैराना में सैकड़ों हिंदू परिवारों के पलायन की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता लोकेश कुमार खुराना की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ़्तों में जवाब मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि पलायन करने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाये गए हैं। कोर्ट ने पलायन कर गए परिवारों की घर वापसी के लिए भी किए गए प्रयासों की राज्य सरकार से जानकारी मांगी है। मामले की अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवन्त वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई।

Hearing starts on kairana matter in allahabad high courtगौरतलब है कि शामली जिले का कैराना वर्ष 2016 में उस समय सुर्खियों में आया जब भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने मुस्लिम समुदाय के कथित उत्पीड़न से परेशान होकर 346 हिन्दू परिवारों के पलायन का आरोप लगाते हुए एक लिस्ट जारी की थी। इसके साथ ही उन्होंने दस हिन्दुओं की हत्या किए जाने और महिलाओं व लड़कियों के साथ दुष्कर्म किए जाने का भी आरोप लगाया था। वहीं इस मामले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोड़ा खुराना ने भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की थी।मानवाधिकार आयोग ने चार सदस्यीय उच्च अधिकारियों की कमेटी से जांच करायी। जांच रिपोर्ट में हिंदुओं के पलायन के साथ 20 बिंदुओं पर आरोपों की पुष्टि के साथ राज्य सरकार को सुझाव भी दिए गए थे। इससे पहले याचिका में आरोप लगाया गया है कि सैकड़ों हिंदू परिवारों के उत्पीड़न और पलायन के बावजूद राज्य सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की थी। याचिका में मामले की सीबीआई जांच और केन्द्र सरकार से हस्तक्षेप की भी मांग की गई थी।

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