राजस्थान की चुनावी सभा में सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा हनुमान जी को ‘दलित जाति’ का बताने से शुरू हुआ बवाल अब उनके मन्दिरों पर कब्जे तक पहुंच गया है।
आगरा के बाद आज लखनऊ के हजरतगंज में स्थित दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर पर दलित उत्थान सेवा समिति के लोग अपना दावा जताने पहुंच गये।
‘दलितों के देवता बजरंग बली का मंदिर हमारा है’ बैनर पोस्टर के साथ दलित उत्थान सेवा समिति के लोगो ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा है कि अगर हनुमान जी को किसी से जोड़ना ही है तो उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी से जोड़ना चाहिये।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें भी लाल रंग पसन्द है और कम्युनिस्ट पार्टियों का पसंदीदा रंग भी लाल ही है। इसके अलावा उन्होंने अपने आदिवासी-वनवासी भाइयों को समाज की मुख्यधारा में लाने का काम किया था। कम्युनिस्ट पार्टी भी यही काम करती है।
अतुल अंजान ने कहा कि भाजपा की यह बेहद शर्मनाक राजनीति है कि वह अपने लाभ के लिए भगवानों की जाति भी तय करने लगी है। पहले वह सम्प्रदाय के नाम पर दो धर्मों के लोगों को अलग करने का काम करती थी।
अब वह देवताओं की जाति बताकर एक जाति को दूसरी जाति से लड़वाना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा यह सब चुनाव में वोटों का फायदा लेने के लिए कर रही है लेकिन जनता उसकी सच्चाई जान चुकी है। पांच राज्यों के इन चुनाव परिणामों से उसे इसका एहसास भी हो जाएगा।