Delhi : कहते हैं कि अगर आपमें योग्यता और भरपूर आत्मविश्वास है तो बड़ी से बड़ी बाधा आसानी से पार पा सकते हैं। इसी पंक्ति को सच कर दिखाया है सौदामिनी पेठे ने।सौदामिनी पेठे दिल्ली की पहली बधिर महिला बन गईं हैं।दिमागी बुखार के कारण अपने सुनने की क्षमता खो चुकीं सौदामिनी पेठे दिल्ली विधिज्ञ परिषद में पंजीकरएा करवाने वालीं पहली बधिर वकील हैं।
उनका कहना है कि उनका लक्ष्य उन लोगों के अधिकारों के लिए लड़न है, जो सुनने में अक्षम हैं।उनके हितों, अधिकारों एवं शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए वह काम करना चाहतीं हैं।
सौदामिनी ने वर्ष 2000 में मुंबई विश्वविद्यालय से अंग्रेजी भाषा में एमए किया। बाद में नोएडा डेफ सोसाइटी में कार्य करने के दौरान वर्ष 2008 के बाद आईएसएल सीखी। वर्तमान में वह भारतीय मूक-बधिर महिला फाउंडेशन की निदेशक और न्यासी भी हैं।उन्होंने हरियाणा के फरीदाबाद स्थित इंस्टिट्यूट से इसी वर्ष अगस्त में एलएलबी की डिग्री भी ली है।
Delhi: दुभाषिये की मदद से कोर्ट में लड़ेंगी केस
Delhi: महज 9 वर्ष की आयु में सुनने की क्षमता खोने वाली 45 वर्षीय सौदामिनी पेठे भारतीय सांकेतिक भाषा आईएसएल यानी दुभाषिये की मदद से कोर्ट में अपने मामलों पर बहस करेंगी। इसके अलावा बधिर युवाओं को वकालत के पेशे में आने के लिए जागरूक भी करेंगी। उनके अनुसार विकलांगता और अक्षमता का अर्थ नकारात्मक होता है, ऐसे में इसके बारे में सोचना नहीं चाहिए।
Delhi: यहां तक पहुंचने की डगर आसान नहीं थी
सौदामिनी के लिए इस मंजिल तक पहुंचना आसान नहीं था। उनके अनुसार मुझे अपने बेटे की परीक्षा से पहले उसके कीमती समय में से उसे अपने साथ ले जाना पड़ता था, ताकि वह विश्वविद्यालय में मेरी दाखिले संबंधी औपचारिकताओं आदि में दुभाषिये का काम कर सके।
संबंधित खबरें