भारतीय फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया को कौन नहीं जानता। देश के महानतम फुटबॉलर में से एक बाईचुंग भूटिया ने अपने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने अपनी जिंदगी का एक हिस्सा जहां खेल को समर्पित किया तो वहीं दूसरा हिस्सा राजनीति के प्रति समर्पित कर रहे हैं। बता दें कि फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर खास पहचान बनाने वाले बाइचुंग ने 2011 में इस खेल से संन्यास ले लिया और 2013 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से जुड़ गए। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए टीएमसी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में भी उतारा लेकिन वह चुनाव जीत नहीं पाए। सिक्किम के ही मूल निवासी बाइचुंग पहले भी सिक्किम के प्रति अपना विशेष लगाव दिखा चुके हैं और राज्य के लिए कुछ करने की इच्छा भी जताते रहे हैं। टीएमसी में भी वह सिक्किम के अंदर अपनी भूमिका के बारे में सवाल उठाते रहे थे। इसी साल उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई। सिक्किम बेस्ड अपनी इस पार्टी को बाइचुंग ने ‘हमरो सिक्किम‘ नाम दिया है। एपीएन से हुई खास बातचीत में उन्होंने जहां अपने अतीत के पलों को याद किया तो वहीं अपने आने वाले योजनाओँ को भी बताया है, आईए जानते हैं-
प्रश्न- आपने अपनी राजनीति पारी की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस के साथ की जो कि पश्चिम बंगाल की पार्टी है। आपने अपने क्षेत्र सिक्किम से अपनी राजनीतिक पारी क्यों नहीं शुरू की?
- जब मैंने फुटबॉल से रिटायरमेंट लिया तब तृणमूल कांग्रेस से मुझे प्रस्ताव आया। कुछ मिनट बातचीत हुई। यह मेरे लिए बहुत अच्छा अनुभव था। हालांकि ये भी एक डर था कि मुझे दार्जलिंग से फाइट करना है वो भी तृणमूल कांग्रेस की तरफ से। मेरा कोई पहले से प्लान नहीं था राजनीति में आने का लेकिन मैं पश्चिम बंगाल में खेलता था और तभी अचानक तृणमूल कांग्रेस की तरफ से ऑफर आया। तभी मैंने सोचा कि क्यूं नहीं मैं राजनीति में उतरूं।
प्रश्न- जब आप तृणमूल कांग्रेस के साथ थे तो आप ने गोरखालैंड की डिमांड की थी। उस समय आप ने कहा था कि अलग गोरखालैंड बनना चाहिए क्योंकि इससे पर्वतीय लोगों की समस्या का हल हो जाएगा। क्या आज भी आप उस फैसले के साथ हैं?
- हां, आज भी मैं इसपर कायम हूं। जब मैं तृणमूल कांग्रेस का लीडर था तब भी मैं इस बात को उठाता था। इतने सालों में आज भी गोरखालैंड मामला सुलझ नहीं पाया। मुझे लगता है कि पर्वतीय लोगों को कोई दूसरी स्ट्रेटजी अपनानी चाहिए। खास बात ये है कि जब मैं तृणमूल के साथ था तो भी मैं ये कहता था कि बुद्धिजीवी बंगालियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहिए। इतना है कि आप अलग राज्य की प्राप्ति बंद या हिंसा के सहारे नहीं कर सकते। क्योंकि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता।
प्रश्न-आप ने अपनी पार्टी ‘हमरो सिक्किम’ 31 मई को लांच किया। लेकिन अभी तक कोई खास चेहरा इस पार्टी को नहीं मिल पाया है। इस पर आप क्या कहेंगे?
- हम बड़े चुनिंदा लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करना चाहते हैं। हमारी राजनीतिक पार्टी कुछ अलग करेगी। हमने 25 सालों से देखा है एक ही पार्टी, एक ही आदमी को शासन चलाते हुए। मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग चाहते हैं कि पूरी व्यवस्था उनके हाथ में है। जिस तरह अमेरिका में दो टर्म पॉलिसी अच्छे से काम कर रहा है, कुछ उसी तरह हम सिक्किम भी लाना चाहते हैं। हम सिक्किम को अच्छे और ईमानदार नेता देना चाहते हैं।
प्रश्न-आप महिलाओँ के आरक्षण के बारे में क्या कहना चाहेंगे? महिलाओं का आपके पार्टी में क्या स्थान होगा?
- मुझे बहुत खुशी होगी कि पार्टी का नेतृत्व कोई महिला करे। मैं चाहता हूं कि सिक्किम में कोई महिला मुख्यमंत्री बने। सिक्किम को भी किसी महिला मुख्यमंत्री की जरूरत है क्योंकि महिला मेहनती और विश्वसनीय होती हैं।
प्रश्न – अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सौ प्रतिशत विद्युतिकरण भी आपका एक एजेंडा है, जबकि पीएम मोदी ने अप्रैल महीने में पूरे देश के सौ प्रतिशत विद्युतिकरण की घोषणा कर दी। इसमें सिक्किम को कहां पर देखते हैं आप ?
- सिक्किम के पास काफी धैर्य है। वो चाहे तो 24 घंटे बिजली उत्पादित कर सकता है और सप्लाई भी कर सकता है। अभी हाल ही में सिक्किम सरकार ने 30-40 बिजली प्रोजेक्ट को पास किया है। लेकिन जहां तक मुझे लगता है कि राज्य के अंदर अभी भी बिजली काफी बड़ी समस्या है। इसको हम और भी तरीके से सेव कर सकते हैं। चामलिंग जी जैसा चाहते थे वैसा अभी बिजली के क्षेत्र में सफलता हासिल नहीं हो पाई है।