खिलाड़ी एक तरफ अच्छा खेल प्रदर्शन करके देश का मान बढ़ा रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ सरकार खिलाड़ियों का हक देने में ऊंच-नीच कर रही है। दरअसल, वर्षों से नौकरी का इंतजार कर रही स्टार एथलीट रायबरेली की सुधा सिंह की पीड़ा राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों के प्रदेश के पदक विजेताओं के सम्मान समारोह में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने छलक पड़ी। एथलीट सुधा सिंह ने बुधवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन के बावजूद उत्तर प्रदेश का खेल विभाग उनकी नौकरी की राह में रोड़ा बना हुआ है। सुधा ने मंगलवार को राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के पदक विजेताओं के लिए आयोजित सम्मान समारोह में पहले पुरस्कार राशि लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा “खेल विभाग ने कसम खा रखी है कि वह मुझे अपने यहां नहीं आने देगा। हालांकि मुख्यमंत्री ने सुधा को इनामी राशि का चेक देते हुए कहा कि यह तो तुम्हारा अधिकार है।
बता दें कि जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली सुधा सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार का 30 लाख का ईनाम लेने से इनकार कर दिया। सुधा ने कहा कि जब तक उन्हें नौकरी कि उन्हें नौकरी का वादा नहीं किया जाता, वो ये ईनाम नहीं लेंगी। हालांकि सीएम योगी और राज्यपाल राम नाईक ने उन्हें नौकरी का पूरा भरोसा दिलाया।
अमेठी के शिवाजी नगर में रहने वाली सुधा सिंह के पिता ने हमेशा ही उनके सपनों का साथ दिया। सुधा की खेल में दिलचस्पी होने के कारण परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी उन्हें रोका-टोका नहीं। सुधा पहले मोहल्ले की गलियों और सड़क के फुटपाथ पर ही अभ्यास करती थी। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें साल 2003 में स्पोर्ट्स हॉस्टल, लखनऊ में पहुंचाया। पानी और बाधा को पार करके दौड़ पूरी करने वाले स्टीपल चेज जैसे खेल को खेलने वाली सुधा ने जीवन की दौड़ में भी किसी रुकावट को अपनी सफलता के आगे नहीं आने दिया। यही वजह है कि 15 साल में उसने एक से बढ़कर एक उपलब्धि हासिल की।