विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की सालगिरह पर विश्वविद्यालयों को जारी संवाद पर विवाद को देखते हुए सरकार ने सफाई पेश करते हुए कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं है बल्कि यह देशभक्ति से जुड़़ा है तथा इसका आयोजन संस्थानों के लिए अनिवार्य नहीं है। विपक्षी दलों द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करने के सरकार पर आरोप लगाने को मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि आलोचना पूरी तरह से बेबुनियाद और गलत है। जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस से अलग मत रखती है क्योंकि वह कार्यक्रमों का पालन करने के लिये संस्थानाओं को सिर्फ सलाह देती है जबकि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब वह निर्णय के पालन को अनिवार्य बनाती थी। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम आयोजित करना संस्थानों के लिए अनिवार्य नहीं है, यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है। उन्होंने दावा किया कि कई शिक्षकों और छात्रों ने ऐसा एक कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया था।
उन्होंने दावा किया कि कई शिक्षकों और छात्रों ने ऐसा एक कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘इसमें राजनीति कहां हैं। इसमें कोई राजनीति नहीं है बल्कि यह देशभक्ति है।’ उन्होंने कह कि संस्थाओं से कहा कि जो इच्छुक हैं वे अपने यहां 29 सितंबर को सेना के पूर्व अफसरों का लेक्चर आयोजित करा सकते हैं, जो छात्रों को बताएंगे कि जवान किस तरह देश की सुरक्षा करते हैं, और सर्जिकल स्ट्राइक को किस तरह अंजाम दिया गया। जावड़ेकर ने यह भी कहा कि इसे जरूरी नहीं बनाया है, हम सुझाव देते हैं और सलाह जारी करते हैं।
यह पूछे जाने पर कि पिछले वर्ष इसका आयोजन क्यों नहीं किया गया, उन्होंने कहा कि अच्छे सुझाव पर कभी भी अमल किया जा सकता है। इससे पहले, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ‘यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि वे 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस के रूप में मनाएं। क्या इसका मकसद लोगों को शिक्षित करना है या फिर बीजेपी के राजनीतिक हितों की पूर्ति करना है?’