आम आदमी पार्टी के पुराने नेता और पत्रकार आशुतोष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी का साथ नहीं छोड़ा लेकिन वो अब राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं इसलिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। आशुतोष ने बुधवार को ट्विटर के जरिए पार्टी से इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने इस्तीफे के पीछे बेहद व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। हलांकि, चर्चा यह भी है कि वह राज्यसभा में नहीं भेजे जाने की वजह से नाराज चल रहे थे। हालांकि उनके इस्तीफे को अभी स्वीकार नहीं किया गया है। आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आशुतोष का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि ‘इस जन्म में वह इस्तीफा मंजूर नहीं कर सकते।’
Every journey has an end. My association with AAP which was beautiful/revolutionary has also an end.I have resigned from the PARTY/requested PAC to accept the same. It is purely from a very very personal reason.Thanks to party/all of them who supported me Throughout.Thanks.
— ashutosh (@ashutosh83B) August 15, 2018
How can we ever accept ur resignation?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 15, 2018
ना, इस जनम में तो नहीं। https://t.co/r7Y3tTcIOZ
आशुतोष ने लिखा कि हर सफर का अंत होता है। आम आदमी पार्टी के साथ मेरा शानदार और क्रांतिकारी सफर आज खत्म हुआ। मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने लिखा कि ये फैसला मैंने निजी कारणों से लिया है। जिन्होंने मेरा समर्थन किया, उन सभी को धन्यवाद। आशुतोष के इस कदम के बाद पार्टी के कई नेता हैरान है। आशुतोष के इस्तीफे का बाद कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। आशुतोष ने पत्रकारों से कहा है कि उनके फैसले पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी या प्रश्न न उठाएं।
To media friends. Please respect my privacy. I won’t be giving any bite of any kind. Please cooperate.
— ashutosh (@ashutosh83B) August 15, 2018
बता दें कि अपने इस्तीफे से पहले उन्होंने गाय को मु्द्दा बनाकर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना भी साधा। उन्होंने ट्वीट किया, ‘आज स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर हर बीजेपी का सदस्य भारत माता की सौगंध खाए कि वो कम से कम तीन गायों को गोद लेकर उनको नया जीवन देगा। गाय हर बीजेपी/संघी की मां है। वो उसे सड़क पर मरने के लिये कैसे छोड़ सकते हैं? हिंदू धर्म की इससे बड़ी सेवा नहीं हो सकती।’