यूपी सरकार मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली सभी सुविधाओं को देने का दावा तो करती है, लेकिन क्या मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल जिले के लोगों की स्वस्थ्य की देखभाल और अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा रहा है। क्या यहां मरीजों को वो सभी स्वस्थ्य सुविधाएं मिल रही है। इसका रिएलिटी टेस्ट करने के लिए हम मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल के ओपीडी पहुंचे।
जिला अस्पताल के सभी ओपीडी में रोजाना करीब 500 मरीज पहुंचते है। जब हम अस्पताल पहुंच तो रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लोग इलाज के लिए पर्ची बनवा रहे थे। वहीं हमें ज्यादातर डॉक्टर वक्त से अस्पताल आकर मरीजों को देखते हुए मिले। हालांकि कुछ डॉक्टर नदारद मिले लेकिन पता करने पर बताया गया कि वो किन्ही कारणों से छुट्टी पर है। अस्पताल में कैसा इलाज हो रहा है, इसके साथ ही डॉक्डरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों का मरीजों के प्रति कैसा रवैया रहता है ये जानने के लिए हमने कुछ मरीजों और उनके तीमारदारों से बात की तो अस्पताल की सुंदर तस्वीर उभर कर आई।
मरीजों ने बताया कि उन्हें यहां इलाज की अच्छी सुविधा मिल रही है। मरीजों और उनके परिजनों से बात कर हम दवा वितरण केन्द्र के पास पहुंचे तो यहां लोगों को डॉक्टर के पर्ची में लिखे दवा के मुताबिक दवा दिया जा रहा था, लेकिन क्या पर्ची में लिखे सभी दवाएं मरीजों को दिए जा रहे ये जानने के लिए हमने कुछ लोगों से बात की तो अस्पताल की सुंदर तस्वीर में धब्बे नजर आए।
भले ही अस्पताल प्रशासन सेवाओं के दुरुस्त होने के दावा करें लेकिन हकीकत तो ये है कि आज भी जिला अस्पताल में दवाओं की किल्लत है और फिर दवा कंपनियों से मिले कमीशन की वजह से भी डॉक्टर बाहर की दवा लिख रहे है। ऐसे में मुफ्त इलाज की उम्मीद में जिला अस्पताल आने वाले मरीजों की यहां जेब ढीली हो जाती है। सामान्य दवा ही नहीं मुज्फ्फरनगर जिला अस्पताल में कई दिनों से कुत्ता काटने पर लगने वाला एंटी रेबीज का इंजेक्शन भी गायब है, इसके लिए बाकायदा एक नोटिस भी दीवार पर लगा दिया गया है। ऐसे में दूर-दराज के इलाकों से रेबीज का इंजेक्शन लगाने के लिए अस्पताल आने वाले मरीजों को बड़ी परेशानी होती है। लाचारी में अपने पैसे खर्च कर वो निजी मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन खरीद रहे है
वहीं जब जिला अस्पताल में साफ-सफाई का जायजा लिया। जिला अस्पताल में रोजाना लगभग 3 बार सभी वार्डो को साफ किया जाता है, वहीं शौचालय की साफ-सफाई भी अच्छी नजर आई। अस्पताल में सभी बेडशीट को भी रोज बदला जाता है , पुराने बेड शीट को दोबारा नहीं बिछाया जाए इसके लिए रोज अलग-अलग रंग के बेड शीट को बिछाया जाता है।
जिला अस्पताल में सफाई की जिम्मेदारी निजी कंपनी को सौंपी गई है लेकिन यहां काम करने वाले सफाईकर्मी निजी कंपनी के मनमर्जी के शिकार है। एक तो सफाई कर्मचारियों को बेहद कम वेतन दिया जाता है उस पर तीन महीने में एक बार ही उन्हें तनख्वाह दी जाती है। ऐसे में गरीब सफाई कर्मचारी बेहद परेशान रहते हैं
जिला असपताल में इलाज की आधुनिक सुविधाओं की बात करें तो हाल ही में यहां डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई है अब किडनी के मरीजों को जिले से बाहर नहीं जाना पड़ रहा है। वहीं जल्द ही सीटी स्कैन की सुविधा शुरू होने वाली है। एक्स रे और अल्ट्रासाउंड भी मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल में किया जा रहा है। अस्पताल में रोजाना 30 से अधिक अल्ट्रासाउंड होते हैं, जिन्हें करने के लिए एक रेडियोलॉजिस्ट तैनात रहते है, जबकि 70 से अधिक एक्स-रे प्रतिदिन किए जाते हैं। जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी की वजह से चार अल्ट्रासाउंड मशीन की जगह दो मशीन ही काम कर रहा है। रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण जनवरी महीने में अल्ट्रासाउंड की दो मशीनों को बंद कर दिया गया। हालांकि कहा तो ये जा रहा है कि जिन दो अल्ट्रासाउंड मशीनों को बंद किया गया है असल में वो काफी पुरानी हो चुकी थी, एक मशीन 15 साल तो दूसरी 8 साल पुरानी थी। जो पूरी तरह से रिपेयर नहीं की जा सकती थी। वहीं अस्पताल का ब्लड बैंक भी ठीक से काम कर रहा है।
दूसरी सुविधाओं की बात करें तो जिला अस्पताल में पीने के पानी के लिए कई पानी की टंकी की भी व्यवस्था है। गर्मी में ठंडा पानी मुहैया कराने के लिए वाटर कूलर को लगाया गया है।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन