प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। अगर प्रतिभा के साथ हौसला भी जुड़ जाए तो उसका नतीजा निर्मला के रूप में हमारे सामने आता है। जी हां, दिव्यांग खिलाड़ी निर्मला ने अपनी शारीरिक कमजोरी को कभी अपने रास्ते की रूकावट नहीं बनने दिया। अपनी मेहनत के बल पर उसने कई पदक उत्तराखंड की झोली में डाले हैं। विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित निर्मला का अब तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए भी चयन हुआ है।
उधमसिंह नगर जिले की बाजपुर तहसील के हरिपुरा हरसान गांव में एक मंदिर के पुजारी के घर 1 जुलाई 1984 को जन्मी निर्मला ने अपनी प्रतिभा के बल पर परिवार ही नहीं प्रदेश का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया है। बचपन में ही पोलियो का शिकार होने वाली निर्मला ने अपनी शारीरिक कमजोरी को अपने लक्ष्य के रास्ते में आड़े नहीं आने दिया। पैरो से दिव्यांग निर्मला ने इसी साल मई में आयोजित पैरा बैडमिंटन में दो कांस्य पदक जीते थे। जबकि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर निर्मला ने व्हील चेयर गोला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड पर कब्जा जमाया था।
निर्मला ये सब कुछ भी नहीं कर पाती अगर उसने हौसला छोड़ दिया होता।लेकिन उसने हार नहीं मानी अपनी शारीरिक कमजोरी को उसने अपनी मानसिक मजबूती के बल पर अपनी शक्ति बना ली।जिसका नतीजा सबके सामने है।. बचपन में जब निर्मला पोलियो को शिकार हुई तो उसके माता पिता निराशा के गर्त में डूब गए।पर बड़ी होती निर्मला ने अपने माता-पिता की चिंताओं को खुशियों में बदल दिया।.बुलंद हौसले वाली निर्मला के जीवन में ये बदलाव तब आया जब वो नेहरु युवा केंद्र की कोऑर्डिनेटर उमा जोशी के संपर्क में आई।
वहीं उसे दिव्यांगों के खेल के प्रति लगाव पैदा हुआ। खेल की दुनिया में कदम रखने से पहले दिव्यांग निर्मला ने सियासत की दुनिया में भी कदम रखने की कोशिश की थी। बाजपुर डिग्री कॉलेज में उसने छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव भी लड़ा, लेकिन मामूली अंतर से हार गई। हारती भी क्यों नहीं निर्मला की किस्मत में नेता नहीं खिलाड़ी बनना जो लिखा था।
हालांकि, उसके रास्ते में अभी कई बाधाएं हैं।लेकिन सरकार समेत हर तरफ से उसे मदद की उम्मीद भी जगी है। दिव्यांग निर्मला ने साबित कर दिया है कि अगर हिम्मत हो तो अभिशाप को भी अभिमान बनाया जा सकता है। परिवार और प्रदेश का मान बढ़ाने वाली निर्मला पर आज पुरस्कारों की बारिश हो रही है।2017 में उत्तराखंड सरकार ने उसे दक्ष पुरस्कार से सम्मानित किया था। जबकि अबकी बार इस साल के तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए उसका चयन हुआ है। निर्मला को देखकर लग रहा है बेटियां बढ़ ही नहीं रही हैं। बल्कि बेटियां जीवन के हर क्षेत्र में सरपट दौड़ रही हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन