Gandhi Jayanti: 2 अक्टूबर यानी आज महात्मा गांधी की जयंती है। आज गांधी होते तो 153 वर्ष के हो गए होते। इतने लंबे वक्त तक जिंदा रहना तो बेहद कठिन है लेकिन जन के मन में गांधी आज भी जिंदा हैं। आध्यात्मिक नेता, धर्मनिरपेक्ष संत, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, दार्शनिक और “राष्ट्रपिता”, महात्मा गांधी शायद आधुनिक इतिहास में सबसे अधिक प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति हैं। एक धार्मिक तपस्वी के वेश और एक लंगोटी और शॉल, जिसे उन्होंने 1931 में अंग्रेजी सम्राट से मिलने जाने के दौरान पहना, बाद में उनकी पहचान बन गयी।
महात्मा गांधी के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। किसी ऐसे व्यक्ति के लिए बहुत कुछ लिखा गया, जिसका बौद्धिक और कुछ हद तक राजनीतिक विकास भारत के बाहर हुआ, जिसे दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर उसके राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत के अध्ययन दौरे पर भेजा था।
गांधी का व्यक्तित्व
गांधी के मोहनदास से महात्मा बनने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। इस सफर को मात्र कुछ शब्दों में समेटा भी नहीं जा सकता। आइंस्टाइन के कथन से गांधी के महत्व को समझा जा सकता है। “आने वाली पीढ़ियां विश्वास नहीं करेंगी कि इस धरती पर गांधी जैसा कोई हांड-मांस का शरीर रहा होगा।”
पत्रकार के रूप में गांधी
अपने विचारों के प्रसार के लिये गांधी ने इंडियन ओपिनियन, ग्रीन पम्फलेट, नवजीवन, यंग इंडिया, हरिजन जैसे समाचार पत्रों का प्रकाशन किया। अपने विचारों को मूर्त रूप देने के लिये फिनिक्स आश्रम, टॉलस्टॉय फॉर्म, साबरमती तथा सेवाग्राम जैसे महत्वपूर्ण आश्रमों की स्थापना भी की। जो कि स्वराज्य प्राप्ति में सहायक साबित हुए।
एक नजर राष्ट्रपिता के ‘मोहन से महात्मा’ तक के सफर पर
2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में महात्मा गांधी का जन्म।
1882: कस्तूरबा से विवाह।
4 सितंबर 1888 में पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए।
6 नवंबर 1888: इंग्लैंड के इनर टैंपल में शामिल।
14 मई, 1892: काठियावाड़ की अदालत में वकालत शुरू, लेकिन विफल रहे।
अप्रैल, 1893: दक्षिण अफ्रीका की समुद्री यात्रा की, वहां अब्दुल्ला एंड कंपनी के कानूनी सलाहकार बने।
7 जून, 1893: दक्षिण अफ्रीका के पीटरमारित्जबर्ग स्टेशन पर ट्रेन के फर्स्ट एसी कोच से बाहर फेंके गए। वहीं से उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध का संकल्प लिया।
22 अगस्त, 1894: दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की।
1901-1902: कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में शामिल हुए। बंबई में वकालत की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
19 दिसंबर, 1914: लंदन होते हुए हिंदुस्तान लौटे।
इसके बाद से गांधी ने भारत में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई सत्याग्रह किए, देश की आजादी में प्रमुख भूमिका निभाई और इन्हीं आंदोलनों की वजह से ‘मोहन से महात्मा’ भी बने। इन सत्याग्रह में शामिल हैं:
1.चंपारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha)
चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी की अगुवाई में 1917 को शुरू हुआ था।
2.खेड़ा आंदोलन (Kheda Movement)
जब गुजरात का एक गांव खेड़ा बुरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गया, तो स्थानीय किसानों ने शासकों से कर माफ करने की अपील की। यहां गांधी ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जहां किसानों ने करों का भुगतान न करने का संकल्प लिया।
3.असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement)
महात्मा गांधी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की।
4.नमक सत्याग्रह (Salt Satyagraha)
ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्राह शुरू किया था, महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए सभी आंदोलनों में से नमक सत्याग्रह सबसे महत्वपूर्ण था।
5.भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement)
महत्मा गांधी ने अगस्त 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, इस आंदोलन के कारण भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर किया गया।
5 जून, 1934: पूना में गांधी की कार पर बम फेंका गया।
30 अक्तूबर,1934: कांग्रेस से त्यागपत्र।
15 जनवरी, 1942: जवाहरलाल नेहरू को राजनीतिक उत्तराधिकारी बताया।
8 अगस्त, 1942: कांग्रेस द्वारा ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित। ‘करो या मरो’ के नारे के साथ सत्याग्रह।
10 फरवरी, 1943: वायसराय से वार्ता में गतिरोध दूर करने का दबाव बनाने को आगा खां पैलेस में 21 दिन का उपवास।
22 फरवरी, 1944: कस्तूरबा का निधन।
2 सितंबर, 1946: जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी।
2 जून, 1947: देश के विभाजन मंजूर करने के कांग्रेस के फैसले का विरोध।
30 जनवरी, 1948: बिड़ला हाउस, दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या की।
गांधी की हत्या एक हिंदू राष्ट्रवादी ने की थी
गांधी की 30 जनवरी 1948 को एक हिंदू राष्ट्रवादी ने हत्या कर दी थी। उनके सीने में तीन गोलियां दागी गई थीं। उनका हत्यारा नाथूराम गोडसे था। जब प्रधानमंत्री नेहरू ने उनकी मृत्यु की घोषणा की, तो उन्होंने कहा कि “हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है, और हर जगह अंधेरा है।” उनकी मृत्यु के बाद, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की स्थापना की गई थी। 2 अक्टूबर को उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। यह अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी है।
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