Eating Disorders: हम सभी की खाने-पीने की आदतें काफी अलग होती है। कई लोग हेल्दी खाना खाना पसंद करते हैं तो कई लोग जो मन वो खा लेते हैं। भले ही इससे उनकी सेहत पर बुरा असर ही क्यों ना पड़ जाए। इन्हीं आदतों की वजह से एक समस्या शुरू होती है। जिसे ईटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है। ईटिंग डिसऑर्डर यानी खान-पान से जुड़ी बीमारी।
Eating Disorders: ईटिंग डिसऑर्डर क्या है?

यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर होता है, जिसमें व्यक्ति कभी तो जरूरत से भी ज्यादा खाता है तो कभी बहुत ही कम खाता है। ईटिंग डिसऑर्डर के कुछ प्रकार हैं। जैसे- एनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलिमिया नर्वोसा और बिंज ईटिंग डिसऑर्डर।
जब कोई शख्स हद से ज्यादा कम खाना खाने लगता है तो उसका वजन कम हो जाता है। उसकी बॉडी का फैट पूरी तरह से कम हो जाता है। ऐसे लोग एनोरेक्सिया नर्वोसा का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा बिंज ईटिंग डिसऑर्डर के शिकार लोग थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं। इसके अलावा उसे जब भूख नहीं लगती है, तब भी वह भोजन करते हैं।
वहीं, बुलीमिया नर्वोसा में व्यक्ति जरूरत से ज्यादा खाता है और हमेशा अपने वजन को लेकर चिंतित रहता है। ऐसे लोग कई बार खाने-पीने के मामले में परहेज करते हैं, लेकिन वजन कम नहीं हो पाता और न ही वे अपने खान-पान को कंट्रोल कर पाते हैं। एनोरेक्सिया और बुलीमिया आमतौर पर 15 वर्ष की उम्र से शुरू हो जाता है।

Eating Disorders: ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण
- ईटिंग डिसऑर्डर के कई लक्षण होते हैं। जिनमें लोगों की ईटिंग हैबिट्स पहले से बदल जाती हैं।
- वजन लगातार बढ़ते जाना या घट जाना।
- रात को नींद नहीं आना।
- कब्ज होना।
- स्किन पर रैश होना या स्किन का ड्राई हो जाना।
- दांतों में कैनिटीज होना।
- नाखूनों का टूटना और बालों का झड़ना।
Eating Disorders: कैसे करें बचाव?

इस विकार से बचने के लिए रोजाना तीनों वक्त का खाना खाएं और वो पौष्टिक हो। सही समय पर ब्रेकफस्ट, लंच और डिनर करें। दही, फ्रूट्स, छाछ के अलावा हरी पत्तेदार सब्जियां और फल खाएं। इन्हें बहुत ज्यादा या कम ना खाएं। धीरे-धीरे जरूरत के हिसाब से ही खाएं। नियमित तौर पर थोड़ी मात्रा में कुछ हेल्दी खाने की आदत डाले। जब भूख लगे तभी खाएं, जबरदस्ती ना खाएं। सही समय पर ही खाना खाएं, वक्त-बेवक्त कुछ भी ना खाएं। ऐसा करने से न सिर्फ खान-पान संबंधी बीमारी दूर हो जाएगी बल्कि आप हेल्दी भी हो जाएंगे।
Eating Disorders: जानें क्या है इसका इलाज?

ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति में खान-पान संबंधी बीमारी किस तरह की है और उसका लेवल क्या है। ईटिंग डिसऑर्डर के लिए कई तरह की थेरपी दी जाती हैं, जिनमें आर्ट थेरपी, रिक्रिएशन थेरपी और म्यजिक थेरपी प्रमुख हैं। इसके अलावा बिहेवियरल थेरपी, कॉग्निटिव रेमेडिएशन थेरपी, फैमिली थेरपी और इंटरपर्सनल सायकोथेरपी भी की जाती हैं।
(नोट- ये अर्टिकल सामान्य जानकारी के आधार पर लिखा गया है, अगर आपको ऐसी कोई समस्या है तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।)
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