प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारा 17 सितंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (National Logistics Policy) की शुभारंभ किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नीति परिवहन क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने में काफी कारगर साबित होगी. यह नई नीति अंतिम छोर तक डिलिवरी की गति बढ़ाने और कारोबारों के लिए धन की बचत करने वाली है.
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (National Logistics Policy) को लेकर सबसे पहले चर्चा 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में की गई थी, इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी 2020-21 के अपने बजट भाषण में इस नीति को लेकर चर्चा की थी. नीति के वित्त वर्ष 2020-21 में लागू होने की उम्मीद थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते बदलती परिस्थितियों के बीच इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया था.
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (National Logistics Policy) से कारोबारों की लॉजिस्टिक लागत को मौजूदा 13-14 फीसदी से घटकर एकल अंक (Single Digit) में आने का अनुमान है. नीति के लागू होने से लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक्स लागत में 10 फीसदी की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8 फीसदी की वृद्धि होगी.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत में लॉजिस्टिक क्षेत्र काफी जटिल है. इसमें 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 भागीदार सरकारी एजेंसियां और 37 निर्यात प्रोत्साहन परिषदें भी शामिल हैं.
भारत अपनी जीडीपी का लगभग 13 से 14 प्रतिशत हिस्सा लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश इसी के लिए 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं.
2017-18 के अनुसार भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र (National Logistics Policy) 2.2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है. 2019-20 में, यह अनुमान लगाया गया था कि भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार का मूल्य अगले दो वर्षों में लगभग 160 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 215 बिलियन अमरीकी डॉलर के आसपास होगा. लेकिन कोविड-19 के चलते आई अर्थव्यवस्था में मंदी के बाद अभी तक ये क्षेत्र पूरी तरह से उभर नहीं पाया है.
भारत सरकार नीति के तहत यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप) और ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज (ई-लॉग्स) जैसे पोर्टलस को शुरू करेगी जो नीति निर्यातकों और उद्योग को लॉजिस्टिक दक्षता बढ़ाने में मदद करेंगे.
यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप), परिवहन क्षेत्र से संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को एक पोर्टल के तहत लेकर आया जाएगा और निर्यातकों को लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं से मुक्ति दिलाएगा.
14 राज्यों के पास पहले से नीति
देश के कुछ राज्यों के पास पहले से ही अपनी लॉजिस्टिक्स नीति मौजूद है जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्य है. वही 13 राज्यों की लॉजिस्टिक्स नीतियां अभी भी मसौदा चरण (Drafting Phase) में हैं.
ई-लॉग्स पोर्टल
भारत सरकार द्वारा ई-लॉग्स पोर्टल भी शुरू किया गया है, जिसके जरिए उद्योग सीधे ऐसे किसी भी मामले को उठा सकते हैं, जो सरकारी एजेंसियों के साथ उनके संचालन में समस्या पैदा कर रहे हैं. ऐसे मामलों के त्वरित समाधान के लिए भी व्यवस्था भी तैयार की गई है.
औसत टर्नअराउंड 44 से घटकर 26 घंटे हुआ
प्रधानमंत्री मोदी ने नीति के शुभारंभ के समय कहा कि भारतीय बंदरगाहों की कुल क्षमता में काफी वृद्धि हुई है, कंटेनर जहाजों का औसत टर्नअराउंड 44 घंटे से घटकर 26 घंटे पर आ गया है. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 40 एयर कार्गो टर्मिनलों का निर्माण किया गया है. 30 हवाई अड्डों पर कोल्ड स्टोरेज की सुविधा मुहैया कराई गई है. देशभर में 35 मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब भी बनाए जा रहे हैं. ‘जलमार्ग के जरिए हम पर्यावरण के अनुकूल और कम खर्च में परिवहन कर सकते हैं, इसके लिए देश में कई नए जलमार्ग भी बन रहे हैं.” पीएम ने कहा कि “किसान रेल और किसान उड़ान के प्रयोग भी किया जा रहा है. आज देश में 60 हवाई अड्डों पर कृषि उड़ान की सुविधा उपलब्ध है.”
नीति के मुख्य उद्देश्य
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति से कोरोना महामारी से जूझ रही अर्थवयवस्था को बल मिलेगा ओर सामानों की सप्लाई में आने वाली समस्याओं को हल करने में मदद मिलेगी इसके साथ ही माल ढुलाई में होने वाली ईंधन की खपत के साथ-साथ समय का भी बचाव करना है.
अभी भारत में सबसे ज्यादा माल ढुलाई सड़को के माध्यम से की जाती है, इसके बाद जल परिवहन और फिर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है. 1980 में, भारत में, 60 फीसदी माल ढुलाई रेलवे के माध्यम से होती थी, जो 2022 में घटकर 20 फीसदी पर आ गई है. इसके पिछे कई बड़े कारण है लेकिन सबसे बड़ा करण रेलव की धीमी गति है.
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का दृष्टिकोण त्वरित और समावेशी विकास के लिए देश में तकनीकी रूप से सक्षम, एकीकृत, लागत-कुशल, लचीला, टिकाऊ और विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है.
नीति भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत को 2030 तक वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में लाने के तहत बनाई गई है, लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रैंकिंग जिसमें भारत अभी 44वें स्थान पर है में 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल होने का लक्ष्य रखा गया है, और एक कुशल लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम के लिए डेटा संचालित निर्णय समर्थन तंत्र का निर्माण करती है.
कैसे लागू होगी नीति
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति एक व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्य योजना (CLAP) के माध्यम से लागू की जाएगी. CLAP के तहत प्रस्तावित हस्तक्षेपों को आठ प्रमुख कार्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: (i) एकीकृत डिजिटल लॉजिस्टिक्स सिस्टम (ii) भौतिक संपत्तियों का मानकीकरण और बेंचमार्किंग सेवा गुणवत्ता मानक (iii) लॉजिस्टिक्स मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण (iv) राज्यों के साथ सहयोग (v) एक्जिम (निर्यात-आयात) लॉजिस्टिक्स (vi) सेवा सुधार ढांचा (vii) कुशल लॉजिस्टिक्स के लिए क्षेत्रीय योजना (viii) लॉजिस्टिक्स पार्क के विकास की सुविधा.