उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में बनने वाले जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। सोमवार को दिल्ली में आयोजित स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। अब नोडल एजेंसी बिड डॉक्युमेंट तैयार कर जून में ग्लोबल टेंडर जारी करेगी। तीन महीने में टेंडर प्रक्रिया पूरी होनी है। इसके बाद अक्टूबर महीने में शिलान्यास का लक्ष्य रखा गया है।
जेवर एयरपोर्ट को कुल चार चरणों में बनाया जाना है। इसमें कुल 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। पहला चरण 2022-23 तक पूरा हो जाएगा, इसमें एक टर्मिनल, टैक्सी-वे और एक रनवे होगा, इसमें करीब 4 हजार करोड़ रुपये लागत आएगी। वहां सालाना 1.2 करोड़ लोगों के आ सकने की व्यवस्था होगी। यह कुल 12,350 एकड़ जमीन पर बनेगा। जिसके लिए 4 हजार करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश सरकार देगी।
जेवर एयरपोर्ट पर एयर ऑपरेशन के साथ-साथ एमआरओ, कार्गो और एयरक्रॉफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग और पायलट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भी संचालित किया जाएगा। एयरपोर्ट के बनने से उत्तर प्रदेश में टूरिज्म को खास बढ़ावा मिलेगा।
खबरों के मुताबिक, दो ट्रेन मार्गों के जरिए दिल्लीवालों की जेवर एयरपोर्ट तक पहुंच आसान की जा सकती है। इसके लिए यूपी सरकार सराय काले खां से जेवर एयरपोर्ट तक रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) बनाने पर विचार कर रही है। सराय काले खां से मेरठ, पानीपत और अलवर के लिए पहले ही तीन RRTS को मंजूरी दी जा चुकी है।
इसके अलावा जेवर एयरपोर्ट को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट से जोड़ने पर भी विचार चल रहा है। इसके लिए भी ट्रेन मार्ग का निर्माण किया जा सकता है। एयरपोर्ट को ईस्टर्न पेरिफेरल ई-वे से भी जोड़ा जाएगा। यह एक्सप्रेसवे पलवल और कुंडली को दिल्ली को बाईपास करते हुए जोड़ता है।