SC ने कहा है कि अविवाहित महिला को सुरक्षित गर्भपात के अधिकार से वंचित करना उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। जिसके बाद अब उच्चतम न्यायालय मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 (MTP Act, 1971) कानून तथा संबंधित नियमों की व्याख्या करेगा। जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि क्या चिकित्सीय सलाह पर अविवाहित महिलाओं को भी 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है,या फिर नहीं ।
वहीं न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने शुक्रवार को केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को इस प्रक्रिया में अदालत की सहायता करने को कहा। जहां इस दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि कानून के तहत अपवाद मौजूद हैं तो चिकित्सीय सलाह पर 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने वाली महिलाओं में अविवाहित महिलाओं को क्यों नहीं शामिल किया जाए?
SC: 24 सप्ताह में गर्भपात से जा सकती है महिला की जान – वकील ऐश्वर्या भाटी
इस दौरान सरकार की ओर से पेश वकील ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि इस मामले में विशेषज्ञों की अपनी-अपनी राय है और हमें उन विचारों को अदालत के समक्ष रखने की आवश्यकता है। 24 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने में काफी जोखिम है और इससे महिलाओं की जान भी जा सकती है।’ सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इसके बाद भाटी को विशेषज्ञों की राय से अदालत को अवगत कराने की इजाजत दी और इस मामले में सहयोग का उनसे आग्रह किया।
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