भारत का कृषि क्षेत्र दुनिया भर में काफी बड़ा और समग्र है। उसके बावजूद यह तकनीकी लेवल पर कई देशों से पिछड़ा है। ऐसे में कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भारत की कृषि क्षमता छोटे-छोटे देशों से भी पिछड़ी रहती है। इन्हीं क्षमताओं को बढ़ाने की कवायद में पीएम मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली में कृषि उन्नति मेले की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने 25 कृषि विज्ञान केंद्रों की भी आधारशिला रखी। पीएम मोदी के अलावा इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि पराली जलाना गलत है। उन्होंने कहा कि  यह भारत मां को आग से जलाने और उसे परेशान करने जैसा है।

पीएम मोदी ने कृषि उन्नति मेले में किसानों से कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि  इस कार्यक्रम के माध्यम से मुझे नए भारत के 2 सबसे महत्वपूर्ण भागों के साथ बातचीत करने का अवसर मिला है। जिनमें से एक किसान है जो कि हमें भोजन प्रदान करते है और दूसरे हमारे वैज्ञानिक जो नई-नई तकनीक के साथ आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस तरह के उन्नति मेले की न्यू इंडिया में जरूरत है। देश में आज हज़ारों किसान तकनीक की सहायता से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज अनेक राज्य रिकॉर्ड उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में दूध, दाल, गेंहू का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। हमारे देश का कृषि सेक्टर दुनिया को राह दिखाता है। पीएम ने कहा कि पराली को मशीनों के जरिए हटाएं तो उसका खाद के तौर पर उपयोग बढ़ सकेगा। उन्होंने कहा कि जब हम क्रॉप रेसिड्यू को जला देते हैं तो ये सारे अहम तत्व जलकर हवा में चले जाते हैं। इससे प्रदूषण तो होता ही है, किसान की मिट्टी को भी नुकसान होता है।

पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार किसानों की आय दोगुना करने के लिए काम कर रही है। लेकिन, समय के साथ जो चुनौतियां खेती से जुड़ती चली गईं, वो आज के इस दौर में बहुत अहम हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लगातार प्रयास है कि किसानों को लोन में दिक्कत न आए। इसलिए सरकार ने किसानों को दिए जाने वाले कर्ज की राशि को 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स के लिए ई-मार्केटिंग पोर्टल का मैंने सुझाव रखा था, इसका उद्घाटन देख मुझे खुशी है। पीएम मोदी ने कहा कि ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स पर मेरा जोर इसलिए है क्योंकि ये जितने पुराने हैं, उतने ही आधुनिक भी हैं।

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