Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को झारखंड में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करने के मामले की सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस एमआर शाह ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए फिर से मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया।
इसके साथ ही कोर्ट ने मेरिट लिस्ट जिला स्तर की बजाय राज्य स्तर पर बनने पर जोर दिया।दरअसल झारखंड सरकार और अनुसूचित जिलों के सफल अभ्यर्थियों ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। झारखंड सरकार ने वर्ष 2016 में तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति के लिए नियोजन नीति बनाई थी।जिसके तहत अनुसूचित जिलों की नौकरी में सिर्फ उसी जिले के निवासियों को ही नियुक्त करने का प्रावधान 10 साल के लिए किया गया है।

Supreme Court: इस नीति को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती

इस नीति के तहत गैर अनुसूचित जिले के लोग इसमें आवेदन भी नहीं कर सकते थे।प्रदेश सरकार की इस नीति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
झारखंड हाईकोर्ट ने 21 सितंबर 2020 को अपने फैसले में राज्य की नियोजन नीति को रद्द कर दिया था।जिसके बाद झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार की नियोजन की ये नीति सही नहीं है। यह समानता के अधिकार का हनन भी है। सरकार के इस फैसले से किसी खास जिले के लोगों के लिए ही सारे पद आरक्षित हो गए हैं।
जबकि संविधान के अनुसार किसी भी पद को शत-प्रतिशत आरक्षित नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा याचिका में ये भी कहा गया था कि सरकार की इस नीति से राज्य के लोगों को अपने ही राज्य में नौकरी के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है।
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