आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों अपने सेना वाले बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने कहा था अगर देश को जरूरत पड़ी तो वे तीन दिन में ही सेना के रूप में मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार है। इस बयान पर विपक्ष ने जमकर हंगामा करते हुए इसे देश के लिए जान न्योछावर करने वालों का अपमान बताया।
जिसके बाद बीजेपी की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती का बयान सामने आया है। उमा भारती ने मंगलवार को भोपाल में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दावा किया कि आजादी के कुछ ही समय बाद जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस से मदद मांगी थी। हालांकि उमा भारती ने भागवत के बयान पर सीधे तौर पर कुछ नहीं बोला।
भारती ने कहा कि आजादी के बाद कश्मीर के राजा महाराजा हरि सिंह संधि पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे और शेख अब्दुल्ला ने हस्ताक्षर करने के लिए उनपर दबाव डाला। इस बीच नेहरू दुविधा में थे। फिर पाकिस्तान ने एकाएक हमला कर दिया और उसके सैनिक उधमपुर की तरफ बढ़ने लगे। उस समय नेहरूजी ने गुरू गोवलकर (तत्कालीन आरएसएस प्रमुख एम एस गोवलकर) आरएसएस के स्वयंसेवकों की मदद मांगी, जिसके बाद आरएसएस स्वयंसेवक मदद को जम्मू-कश्मीर गए थे।
गौरतलब है कि उमा भारती के बारे में खबरें आई थीं कि वह अब कभी चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसा उन्होंने खुद एलान किया था। मगर अब उन्होंने खुद ही इसका खंडन करते हुए कहा है कि वह सिर्फ अगले तीन साल तक चुनाव नहीं लड़ेंगी। उमा भारती ने कहा कि कमर और घुटने में दर्द की वजह से मैं अगले तीन साल तक आराम करना चाहती हूं और कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी।