राजनीति में पार्टियां प्रतिक्रिया देने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को चुनाव आयोग ने ‘लाभ के पद’ के मामले में बड़ा झटका दिया है। चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को बड़ी कार्रवाई करते हुए लाभ के पद मामले में आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया है।
जिसके बाद राजनीतिक दलों में इसकी प्रतिक्रिया तेजी से आने लगी है। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा मांगा है। यह भी माना जा रहा है कि चुनाव आयोग ने 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसपर मुहर लगाएंगे।
इस मामले पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि केजरीवाल जी को उनके पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है, उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस इस मामले में ‘जन आंदोलन’ करेगी।
वहीं संबित पात्रा ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ से लेकर मैं भ्रष्टाचारी हूं तक का सफर आम आदमी पार्टी ने बहुत कम समय में तय किया। क्या ‘आप‘ के पास नैतिक रूप से सरकार में रहने का हक है?
आप के पूर्व नेता कपिल मिश्रा ने भी इसके पीछे एक आदमी की लालच को जिम्मेदार ठहराया। आप के पूर्व नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एक आदमी के लालच के कारण 20 विधायकों की सदस्यता खत्म हुई। अरविंद केजरीवाल पैसों के लालच में अंधे हो चुके हैं।
एक आदमी के लालच के कारण खत्म हुई 20 MLAs की सदस्यता - केजरीवाल पैसों के लालच में अंधे हो चुके थे।
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) January 19, 2018
दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी आप पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत करती है। आम आदमी पार्टी ने कभी भी कानून का पालन नहीं किया.। संविधान को नहीं माना। बार-बार संविधानिक संकट पैदा करना आम आदमी पार्टी का चरित्र रहा है। लेकिन आज का चुनाव आयोग का निर्णय आम आदमी पार्टी को एक आईना दिखाने वाला है। यह देश संविधान से चलता है और संविधान से ही चलेगा।
इन सब के बीच आम आदमी पार्टी के नेता नागेंद्र शर्मा ने आयोग के फैसले को पक्षपातपूर्ण कहा और आरोप लगाया कि आयोग ने आप विधायकों की बात नहीं सुनी। आयोग मीडिया को खबरें भी लीक कर रहा है।
इतना सब होने के बाद इंडिया अगेंस्ट करप्शन मूवमेंट में केजरी के सहयोगी रहे समाजसेवी अन्ना हजारे चुप कैसे रहते। उन्होंने कहा ”मैंने कहा था कि पार्टी मत बनाओ। इससे देश सेवा नहीं हो सकती। ऐसा होता तो आजादी के 70 सालों में देश के हालात बदल जाते।”