दिल्ली में अवैध निर्माण के मामले पर बनी मॉनिटरिंग कमेटी ने सोमवार (15 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण जारी है और दिल्ली नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
कमेटी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 140 सड़कों को नोटिफाई किया गया था जिन्हें डीनोटिफाई करना था पर नही किया गया। कमेटी ने यह भी कहा है कि नया कानून अवैध निर्माण को सुरक्षित करता है…इसे रदद् किया जाना चाहिए। पहले केंद्र ने दिसंबर 2017 तक अवैध निर्माण पर यथास्थिति रखने का कानून बनाया था। इसे अब 2020 तक बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा। इतना ही नहीं मोनिटरिंग कमिटी ने कहा है कि दिल्ली में अवैध निर्माण से कंपलीट ब्रेक डाउन है। सुप्रीम कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी से कहा है कि जहां तक मुमकिन है अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करते रहें।
कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम और दूसरी एजेंसीयों को अपनी ड्यूटी से पल्ला न झाड़ने की भी हिदायत दी है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी।
बता दें कि लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (विशेष प्रावधान) कानून (संशोधन) बिल 2017 पास हो गया है। इसके साथ ही 1 जून 2014 तक के अवैध निर्माण को 31 दिसंबर 2020 तक तोड़फोड़ से राहत मिल गई है।लेकिन अनधिकृत कॉलोनियों में एक जून 2014 के बाद हुए निर्माण पर सीलिंग और हथौड़ा चलने की तलवार लटकी हुई है।
कई इलाकों में सीलिंग भी की गई है जिसे लेकर व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले को लेकर राजनीति भी गर्म है और दिल्ली विधानसभा के विंटर सेशन में भी सीलिंग का मुद्दा गूंजेगा।