Edible Oil:मई के अंत से तेलों की आपूर्ति और कीमतों में सुधार का असर बाजार में दिखा है। कंपनियों का कहना है कि जून में मांग बढ़ने और आपूर्ति ज्यादा होने की उम्मीद है।लिहाजा आने वाले समय में कीमतों में थोड़ी और कमी हो सकती है।ब्रांडेड खाद्य तेल कंपनियों ने सोया, पाम और सूरजमुखी तेलों की कीमतों में प्रति लीटर 15 रुपये तक की कमी की है। इससे उपभोक्ताओं ने बहुत राहत महसूस की है।
ग्लोबल मार्केट में गिरावट की वजह से घरेलू मार्केट में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ, पामोलीन समेत सभी तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।आयात शुल्क में कमी नहीं किए जाने की वजह से मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट देखने को मिली है।
केंद्र सरकार की योजना है कि सूरजमुखी और सोयाबीन की रिफाइनिंग कंपनियों को मार्च, 2024 तक हर साल 20 लाख टन के सालाना आयात पर आयात शुल्क से छूट प्रदान की जाए। इसके लिए रिफाइनिंग कंपनियों से 27 मई से 28 जून तक जानकारी मांगी है कि वे कितनी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करने का इरादा रखती हैं।
Edible Oil: पाम तेल में 8 रुपये की कमी
तेल कंपनियों ने पाम तेल को 7 से 8 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता किया है जबकि सूरजमुखी तेल में 10-15 रुपये तक की कमी की है। सोयाबीन के तेल के दामों में 5 रुपये लीटर कम हुआ है। सभी तेलों का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) भी कम कर दिया गया है। हालांकि नए एमआरपी वाला तेल अगले हफ्ते तक ही बाजार में पहुंच पाएगा। जेमिनी कंपनी ने भी सूरजमुखी तेल की कीमत 15 रुपये प्रति लीटर घटाकर 220 रुपये कर दी है। अगले हफ्ते यह 20 रुपये और घटाने की योजना बना रही है।
Edible Oil: केंद्र ने की थी आयात शुल्क में कटौती
पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में भी कटौती की थी।जिससे तेलों की कीमतों को कम करने में मदद मिली। उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सोया तेल की कीमत एक महीने में 170.27 से घटकर 168.57 रुपये और पाम तेल की कीमत 158.61 से घटकर 154.42 रुपये पर आ गई हैं।
केंद्र ने की थी आयात शुल्क में कटौती
पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में भी कटौती की थी।जिससे तेलों की कीमतों को कम करने में मदद मिली। उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सोया तेल की कीमत एक महीने में 170.27 से घटकर 168.57 रुपये और पाम तेल की कीमत 158.61 से घटकर 154.42 रुपये पर आ गई हैं। कारोबार विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि आयात शुल्क कम ज्यादा करने की जगह तिलहन के उत्पादन बढ़ाने पर फोकस करें।इससे दूसरे देशों पर आयात की निर्भरता खत्म होगी।
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