प्रणव धनावड़े, मुंबई क्रिकेट का ऐसा नाम जिसने 16 साल की उम्र में ही 1009 रन की पारी खेलकर सुर्खिया बटोरी थी। वह अचानक से मीडिया के लाइम-लाईट में आ गया था और उसे ‘दूसरा सचिन तेंदुलकर’ कहा जाने लगा था। लेकिन अब यह खिलाड़ी अवसाद यानी डिप्रेशन से जूझ रहा है।
प्रणव के कोच मोबिन शेख बताते हैं कि ‘इतनी कम उम्र में ही मीडिया के लाइम–लाईट में आ जाना प्रणव के लिए अच्छा नहीं रहा। इससे लड़के के ऊपर प्रदर्शन करने का अतिरिक्त दबाव आ रहा था। किसी भी मैच में खराब प्रदर्शन उसको आलचनाओं के घेरे में ला रही थी। इसलिए वह फोकस होकर खेल नहीं पा रहा था। कुछ दिनों बाद ही प्रणव ने मुंबई अंडर-16 टीम में अपनी जगह भी खो दी।’
मुंबई के कल्याण क्षेत्र में एक क्रिकेट क्लब चलाने वाले शेख ने बताया कि मुंबई क्रिकेट एशोसिएशन का रवैय्या भी संतोषजनक नहीं रहा। वह स्कॉलरशिप देने के मामले में प्रणव के प्रदर्शन को रिव्यू करने की बात करती थी और अक्सर उनके अधिकारियों द्वारा कहा जाता था कि अगर प्रणव प्रदर्शन नहीं करते हैं तो उनको स्कॉलरशिप नहीं दी जाएगी।
गौरतलब है कि प्रणव की इस विश्व रिकॉर्ड पारी के बाद एमसीए ने प्रणव को 10000 रूपए प्रतिमाह स्कॉलरशिप देने की घोषणा की थी। शेख ने कहा कि बेहतर होता अगर एमसीए पैसा देने के बजाय प्रणव को क्रिकेटिंग सुविधाए देती। प्रणव को पैसा तो मिल रहा था लेकिन उसे आधुनिक क्रिकेट के हिसाब से अभ्यास करने के लिए सुविधाएं नहीं मिल पा रही थी। प्रणव को कल्याण में ही अभ्यास करना पड़ता था। अच्छा होता अगर एमसीए प्रणव के स्किल्स को और गढ़ने के लिए उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दिलवाती।
प्रणव के कोच शेख और पिता प्रशांत धनावड़े ने एमसीए को चिट्ठी लिखकर स्कॉलरशिप रोकने की गुजारिश की ताकि उस पर प्रदर्शन का दबाव ना रह जाए। ऑटो चालक प्रशांत ने कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा बिना किसी दबाव के अपनी जिंदगी जिए। जब वह स्कॉलरशिप ले रहा था और प्रदर्शन नहीं कर पा रहा था तो लोग उसको ताना मारते थे। लेकिन अब वह बिना किसी दबाव के अपने मन का कर सकेगा। अगर उसे क्रिकेट खेलना हो तो वह क्रिकेट खेलेगा या जो मर्जी आए वह करेगा।
आपको बता दें कि प्रणव को ना सिर्फ एमसीए से स्कॉलरशिप मिला था बल्कि एयर इंडिया भी उसको स्पांसर कर रही थी। लेकिन खराब फॉर्म के कारण एयर इंडिया ने भी अपना स्पांसरशिप वापस ले लिया था। यही नहीं एयर इंडिया ने उसे अपने यहां नेट प्रैक्टिस करने से रोक दिया था। इसके अलावा दादर यूनियन ने भी प्रणव को अपने ग्राउंड में नेट प्रैक्टिस करने से मना कर दिया था। इन सबका प्रभाव प्रणव के मानसिक स्तर पर पड़ा और वह डिप्रेशन में चला गया। कुछ दिन वह बेंगलुरू में राहुल द्रविड़ के क्लब में प्रैक्टिस करने गया लेकिन वह वहां भी अपना खोया आत्मविश्वास हासिल नहीं कर सका।
हालांकि प्रणव के कोच मोबिन शेख का मानना है कि वह लगातार 17 साल के इस खिलाड़ी को मोटिवेट करने की कोशिश कर रहे है और उन्हें यकीन है कि अगले साल तक प्रणव फिर से एक शानदार बल्लेबाज के रूप में उभरेंगे।
प्रणव ने भी इसकी झलक दिखला भी दी है और अपने खेले गए अंतिम क्लब मैच में 85 रन बनाए। प्रणव ने कहा कि वह स्कॉलरशिप छोड़ने के फैसले से खुश हैं और अब अपना सारा ध्यान क्रिकेट पर ही लगाना चाहते हैं। प्रणव ने कहा कि वह एक विकेटकीपर बल्लेबाज हैं इसलिए वह बल्लेबाजी के साथ–साथ अपने विकेटकीपिंग स्किल को भी सुधारना चाहते हैं।
आपको बता दें कि प्रणव ने जनवरी 2016 में अंडर-16 के एक स्कूली मैच में 323 गेंदों में 129 चौके और 59 छक्कों की मदद से 1009 रन की विश्व रिकॉर्ड पारी खेली थी और किसी भी मान्यता प्राप्त क्रिकेट में सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड बनाया था। प्रणव ने ब्रिटेन के एईजे कोलिन्स द्वारा 1899 में बनाए गए नाबाद 628 रन के रिकॉर्ड को तोडा़ था।
इसके बाद प्रणव को अगला सचिन तेंदुलकर कहा जाने लगा था। सचिन ने स्वयं प्रणव की तारीफ की थी और अपने ऑटोग्राफ वाला एक बैट प्रणव को भेंट किया था। तब कई नेताओं मसलन शरद पवार आदि ने भी प्रणव का सम्मान किया था।