यूपी में धार्मिक स्थलों पर बज रहे लाउडस्पीकरों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दायर की गई एक याचिका पर योगी सरकार से जवाब मांगा है।
कोर्ट ने पूछा कि, लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर दिए गए आदेश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है? यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख तय किया है।
बता दें स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की ने जनहित याचिका दायर कर धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर हटवाए जाने और नियमों के मुताबिक रात में लाउडस्पीकर पर पूरी तरह रोक लगाए जाने की मांग की थी।
कोर्ट ने इस पीआईएल याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार के गृह सचिव, मुख्य सचिव और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के प्रमुख को तलब किया है। कोर्ट ने 31 अक्टूबर को इसी विषय पर लंबित वर्ष 2014 की एक जनहित याचिका (PIL) के साथ उक्त याचिका को संबद्ध करने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत नहीं है। फिर यूपी सरकार इसका पालन क्यों नहीं करा पा रही है?
बता दें कि, नियमानुसार धार्मिक स्थलों पर रात 10 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इसके अलावा सभी लाउडस्पीकरों में साउंड लिमिटर लगा होना चाहिए। वहीं अस्पताल, नर्सिंग होम, शिक्षण संस्थान और कोर्ट परिसर से 100 मीटर के अंतर्गत लाइस्पीकरों का उपयोग नहीं होना चाहिए।
दिल्ली में भी दायर है कुछ इसी तरह की याचिका
ना केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने सवाल जवाब किया है, दिल्ली हाईकोर्ट में भी धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर को बंद करवाने के लिए याचिका डाली गई है। यह याचिका संजीव ने दायर की है। उनका दावा है कि लाउड स्पीकर के शोर से लोगों को एकांत में रहने, शांतिपूर्ण तरीके से रहने, दूसरों से बात करने, पढ़ने, सोने आदि के मौलिक अधिकार का हनन होता है।
ऐसे में कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति की अगुवाई वाली खंडपीठ ने इस याचिका पर केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर सुनवाई के लिए 29 जनवरी 2018 की तारीख तय की गई है।