गांधी जी के स्वच्छ भारत का सपना अब पूर्ण होता दिख रहा है। इसकी बड़ी वजह ये है कि स्वच्छता अब सिर्फ गांधी जी की सोच तक सीमित नहीं रह गई है अपितु यह अब जन आंदोलन बन चुका है। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए भारत सरकार भी जी-तोड़ मेहनत कर रही है और हर जगह भारतवाशियों को स्वच्छता के लिए प्रेरित कर रही है। इस आंदोलन का नतीजा भी अब सामने आने लगा है। मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण में योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र गोरखपुर का नाम सबसे आगे है। वहीं गाजीपुर, वाराणसी, क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर है।
पंचायती राज विभाग के एक आंकड़े के मुताबिक 10 अक्टूबर तक आंकड़ो के अनुसार ओडीएफ के तहत गोरखपुर में 98,161 शौचालयों का निर्माण करवाया जा चुका है। वहीं दूसरी तरफ गाजीपुर में ओडीएफ के तहत 63,212 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ओडीएफ के तहत 53,429 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की नगरी इलाहाबाद चौथे नंबर पर है, यहां ओडीएफ के तहत 41,994 शौचालयों को बनवाया गया है। पर्यटन की नगरी आगरा पांचवें नंबर पर है, यहां ओडीएफ के तहत 40,533 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। एक आंकड़े के मुताबिक गोरखपुर में 658 गांव खुले में शौचमुक्त हो चुके हैं।
बता दें कि पूरे गोरखपुर को खुले में शोचमुक्त करने के लिए तेजी से काम हो रहा है। यहां हर रोज 1500 शौचालयों का निर्माण हो रहा है। गोरखपुर में इस अभियान के तहत कुल 4.72 लाख शौचालय बनवाने का लक्ष्य है। शौचालयों के निर्माण के लिए अब तक 94 करोड़ रुपये प्रशासन को मिल चुके हैं। अक्टूबर में प्रशासन का लक्ष्य 60 हजार शौचालयों के निर्माण का है। ऐसे में कुछ सालों में पूरी यूपी खुले में शौच से मुक्त हो जाएगी। बता दें कि मोदी सरकार का लक्ष्य है कि पूरा भारत खुले में शौच से मुक्त हो जाए। गांव-गांव, शहर-शहर सरकारी टॉयलेट बनवाने के लिए सरकारी राजस्व भी खर्च किए जा रहे हैं। शौचालय निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लिए 12 हजार रुपये दो किस्तों में दिए जाते हैं।
ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब हर घर में एक टॉयलेट होगा और भारत इस तरह की पिछड़ी परंपरा से निजात पा जाएगा।