
Supreme Court: गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। Supreme Court ने हिंसा के मामले में हार्दिक पटेल को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगा दी है।हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर सजा निलंबित करने की मांग की थी। ताकि वह 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ सकें।
इस मामले पर Supreme Court ने पहले सुनवाई करने के बाद में गुजरात हाईकोर्ट के हार्दिक पटेल को दी गई सशर्त जमानत के आदेश में से उनकी जमानत की शर्त को हटाने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट के द्वारा दी गई जमानत की शर्त के मुताबिक हार्दिक को गुजरात से बाहर जाने से पहले अदालत की पूर्व अनुमति लेनी होगी।
दरअसल वर्ष 2015 के विसनगर दंगा मामले में 2 साल की सजा पाने वाले हार्दिक फिलहाल जमानत पर हैं लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने उनकी जमानत पर शर्त लगा रखी है। जिसे वह हटाने की मांग कर रहे हैं। याचिका में दंगे में दोषी होने के चलते चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं। वह कोर्ट से दंगा मामले में अपना दोष स्थगित कराना चाहते हैं,ताकि चुनाव लड़ सकें।

Supreme Court: हार्दिक के वकील बोले-चुनाव लड़ने से रोकना अधिकारों का हनन

हार्दिक पटेल के वकील मनिंदर सिंह की ओर से कोर्ट में कहा गया कि चुनाव लड़ने से रोकना अधिकारों का हनन है। वर्ष 2019 में एक बार चुनाव लड़ने का मौका पटेल गवां चुके हैं।
Supreme Court: हार्दिक पटेल के वकील का कहना था कि ये कोई गंभीर हत्यारे नहीं हैं। पुलिस ने अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है। बता दें कि हार्दिक पटेल को 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया था।
वर्ष 2015 में हुए उपद्रव के मामले में 29 मार्च 2019 को गुजरात हाईकोर्ट से हार्दिक पटेल को बड़ा झटका लगा था। हाईकोर्ट ने हार्दिक पटेल की याचिका को खारिज कर दिया था।
जिसमें मेहसाणा में 2015 के उपद्रव मामले में उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने की अपील की गई थी। उन पर दंगा भड़काने के आरोप में साल 2018 में निचली कोर्ट ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।
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