जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पेलेट गन को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर हंगामा फैला हुआ है। इससे बचने के लिए भारत सरकार ने अब पेलेट गन की जगह प्लास्टिक बुलेट का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। पेलेट गन की अपेक्षा प्लास्टिक बुलेट कम घातक होती हैं, जिसे देखते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने करीब 21000 गोलियां कश्मीर में भेज दी है। ताकि गोलियां सैनिकों में वितरण हो जाए।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में जब कभी हिंसा भड़कती है तो वहां सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़प होती हैं। प्रदर्शनकारियों द्वारा सेना पर पत्थर भेंके जाते हैं। पत्थरों के बचने के लिए सेना को मजबूरन पेलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ता था। लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए।
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सरकार के इस फैसले के बाद कश्मीर में सेना द्वारा पेलेट गन का इस्तेमाल कम किया जाएगा और उसकी जगह सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर एके-47 से प्लास्टिक की गोलियां बरसाई जाएगी। प्लास्टिक की नई गोलियों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है, जबकि उसका उत्पादन पुणे की आयुध कारखाना में हुआ है।
CRPF के महानिदेश आर आर भटनागर ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि, ये प्लास्टिक की गोलियां पेलेट गन की अपेक्षा कम घातक हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि, भीड़ को नियंत्रित करने और कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए सैनिकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ये सबसे नई प्रकार की कम घातक गोलियां है।
जानकारी के मुताबिक जैसे ही प्लास्टिक की गोलियां एके-47 बंदूक से निकलेगी, वे कई टुकड़ों में बट जाएंगी और वही टुकडे उपद्रवियों और पत्थरबाजों के शरीर के हिस्सों में लगेंगे, जिससे उसकी जान को खतरा नहीं होगा, लेकिन उसे रुकना पड़ेगा।
बता दें सैनिकों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर पेलेट गन के इस्तेमाल को लेकर जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी।
जैसा कि पेलेट गन एक नॉन लीथल हथियार है यानि इससे किसी की जान नहीं जाती लेकिन फिर भी इसका प्रयोग करने से कई तरह के नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। पिछले साल जम्मू-कश्मीर में इसके इस्तेमाल के बाद यह आरोप लगा था कि पेलेट गन से काफी लोग घायल हुए और कई लोगों को अपनी आंखें भी गवानी पड़ी।